चौसठ योगिनी मन्दिर, मुरैना – इसी मन्दिर पर आधारित है भारत का संसद भवन

Chausath Yogini Mandir Morena History in Hindi : सामान्यतः योगाभ्यास करने वाली स्त्री योगिनी कहलाती है। परन्तु शाक्त मत तथा तांत्रिक परम्पराओं में योगिनी देवीरूपा हैं जो सप्तमातृकाओं से सम्बद्ध हैं। इनकी संख्या 64 है। आपने अष्ट या चौंसठ योगिनियों के बारे में सुना होगा। दरअसल ये सभी आदिशक्ति मां काली का अवतार है। घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए माता ने ये अवतार लिए थे। यह भी माना जाता है कि ये सभी माता पार्वती की सखियां हैं। इन चौंसठ देवियों में से दस महाविद्याएं और सिद्ध विद्याओं  की भी गणना की जाती है। ये सभी आद्या शक्ति काली के ही भिन्न-भिन्न अवतारी अंश हैं। कुछ लोग कहते हैं कि समस्त योगिनियों का संबंध मुख्यतः काली कुल से हैं और ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं। भारत में स्थान-स्थान पर चौसठ-योगिनी मन्दिर स्थापित हैं, इनमें चार प्रमुख हैं। दो ओडिशा में तथा दो मध्य प्रदेश में। लेकिन इन सब में मध्य प्रदेश के मुरैना स्तिथ चौसठ योगिनी मंदिर का विशेष महत्त्व है। प्राचीन समय में इस मन्दिर को तांत्रिक विश्व विद्यालय कहा जाता था। तब इस मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करके तांत्रिक सिद्धियाँ हासिल करने के लिए तांत्रिकों का जमावड़ा लगा रहता था। वर्तमान में भी यहां कुछ लोग तांत्रिक सिद्धियां हासिल करने के लिए यज्ञ करते हैं।

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सठ योगिनी मंदिर, मुरैना

मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में ग्राम पंचायत मितावली थाना रिठौरा कलां में  प्राचीन चौंसठ योगिनी शिव मंदिर है। इसे ‘इकंतेश्वर महादेव मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण तत्कालीन प्रतिहार क्षत्रिय राजाओं ने किया था। यह मंदिर गोलाकार है। इसी गोलाई में बने चौंसठ कमरों में हर एक कमरे में एक शिवलिंग स्थापित है। इसके मुख्य परिसर में एक विशाल शिव मंदिर है। भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक़, इस मंदिर का निर्माण नवीं सदी में किया गया था। कभी हर कमरे में भगवान शिव के साथ देवी योगिनी की मूर्तियां भी थीं, इसलिए इसे चौंसठ योगिनी शिवमंदिर भी कहा जाता है। देवी की कुछ मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं। कुछ मूर्तियां देश के विभिन्न संग्रहालयों में भेजी गई हैं। यह सौ से ज़्यादा पत्थर के खंभों पर टिका है। प्राचीन समय में इस मन्दिर में तांत्रिक अनुष्ठान किया जाता था।

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इसी मन्दिर पर आधारित है भारत का संसद भवन

यह स्थान ग्वालियर से करीब 40 कि.मी. दूर है। ग्वालियर से मुरैना रोड पर मुरैना से पहले करह बाबा से या फिर मालनपुर रोड से पढ़ावली पहुंचा जा सकता है। पढ़ावली ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यही वह शिवमंदिर है, जिसको आधार मानकर ब्रिटिश वास्तुविद् सर एडविन लुटियंस ने संसद भवन बनाया।

Muraina, Madhya Pradesh, INDIA - Photographs by VJ@Travellingcamera.com (3 of 15)-2

चौंसठ योगिनी मंदिर एक दृष्टि में-

निर्माण काल : नवीं सदी
स्थान : मितावली, मुरैना (मध्य प्रदेश)
निर्माता : प्रतिहार क्षत्रिय राजा
ख़ासियत : प्राचीन समय में यहां तांत्रिक अनुष्ठान होते थे
आकार : गोलाकार, 101 खंभे कतारबद्ध हैं। यहां 64 कमरे हैं, जहां शिवलिंग स्थापित है।
ऊंचाई : भूमि तल से 300 फीट

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आठ प्रमुख योगिनियां

समस्त योगिनियां अलौकिक शक्तिओं से सम्पन्न हैं तथा इंद्रजाल, जादू, वशीकरण, मारण, स्तंभन इत्यादि कर्म इन्हीं की कृपा द्वारा ही सफल हो पाते हैं। प्रमुख रूप से आठ योगिनियां हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं:- 1.सुर-सुंदरी योगिनी, 2.मनोहरा योगिनी, 3. कनकवती योगिनी, 4.कामेश्वरी योगिनी, 5. रति सुंदरी योगिनी, 6. पद्मिनी योगिनी, 7. नतिनी योगिनी और 8. मधुमती योगिनी। 

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 चौंसठ योगिनियों के नाम :-

1.बहुरूप, 3.तारा, 3.नर्मदा, 4.यमुना, 5.शांति, 6.वारुणी 7.क्षेमंकरी, 8.ऐन्द्री, 9.वाराही, 10.रणवीरा, 11.वानर-मुखी, 12.वैष्णवी, 13.कालरात्रि, 14.वैद्यरूपा, 15.चर्चिका, 16.बेतली, 17.छिन्नमस्तिका, 18.वृषवाहन, 19.ज्वाला कामिनी, 20.घटवार, 21.कराकाली, 22.सरस्वती, 23.बिरूपा, 24.कौवेरी, 25.भलुका, 26.नारसिंही, 27.बिरजा, 28.विकतांना, 29.महालक्ष्मी, 30.कौमारी, 31.महामाया, 32.रति, 33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38. वीर कुमारी, 39. माहेश्वरी, 40.अम्बिका, 41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी, 49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी, 51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता, 61.सूर्यपुत्री 62.वायु वीणा, 63.अघोर और 64. भद्रकाली।

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 चौंसठ योगिनी मंत्र :-

१. ॐ काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा

२. ॐ कपलिनी नागलक्ष्मी स्वाहा

३. ॐ कुला देवी स्वर्णदेहा स्वाहा

४. ॐ कुरुकुल्ला रसनाथा स्वाहा

५. ॐ विरोधिनी विलासिनी स्वाहा

६. ॐ विप्रचित्ता रक्तप्रिया स्वाहा

७. ॐ उग्र रक्त भोग रूपा स्वाहा

८. ॐ उग्रप्रभा शुक्रनाथा स्वाहा

९. ॐ दीपा मुक्तिः रक्ता देहा स्वाहा

१०. ॐ नीला भुक्ति रक्त स्पर्शा स्वाहा

११. ॐ घना महा जगदम्बा स्वाहा

१२. ॐ बलाका काम सेविता स्वाहा

१३. ॐ मातृ देवी आत्मविद्या स्वाहा

१४. ॐ मुद्रा पूर्णा रजतकृपा स्वाहा

१५. ॐ मिता तंत्र कौला दीक्षा स्वाहा

१६. ॐ महाकाली सिद्धेश्वरी स्वाहा

१७. ॐ कामेश्वरी सर्वशक्ति स्वाहा

१८. ॐ भगमालिनी तारिणी स्वाहा

१९. ॐ नित्यकलींना तंत्रार्पिता स्वाहा

२०. ॐ भेरुण्ड तत्त्व उत्तमा स्वाहा

२१. ॐ वह्निवासिनी शासिनि स्वाहा

२२. ॐ महवज्रेश्वरी रक्त देवी स्वाहा

२३. ॐ शिवदूती आदि शक्ति स्वाहा

२४. ॐ त्वरिता ऊर्ध्वरेतादा स्वाहा

२५. ॐ कुलसुंदरी कामिनी स्वाहा

२६. ॐ नीलपताका सिद्धिदा स्वाहा

२७. ॐ नित्य जनन स्वरूपिणी स्वाहा

२८. ॐ विजया देवी वसुदा स्वाहा

२९. ॐ सर्वमङ्गला तन्त्रदा स्वाहा

३०. ॐ ज्वालामालिनी नागिनी स्वाहा

३१. ॐ चित्रा देवी रक्तपुजा स्वाहा

३२. ॐ ललिता कन्या शुक्रदा स्वाहा

३३. ॐ डाकिनी मदसालिनी स्वाहा

३४. ॐ राकिनी पापराशिनी स्वाहा

३५. ॐ लाकिनी सर्वतन्त्रेसी स्वाहा

३६. ॐ काकिनी नागनार्तिकी स्वाहा

३७. ॐ शाकिनी मित्ररूपिणी स्वाहा

३८. ॐ हाकिनी मनोहारिणी स्वाहा

३९. ॐ तारा योग रक्ता पूर्णा स्वाहा

४०. ॐ षोडशी लतिका देवी स्वाहा

४१. ॐ भुवनेश्वरी मंत्रिणी स्वाहा

४२. ॐ छिन्नमस्ता योनिवेगा स्वाहा

४३. ॐ भैरवी सत्य सुकरिणी स्वाहा

४४. ॐ धूमावती कुण्डलिनी स्वाहा

४५. ॐ बगलामुखी गुरु मूर्ति स्वाहा

४६. ॐ मातंगी कांटा युवती स्वाहा

४७. ॐ कमला शुक्ल संस्थिता स्वाहा

४८. ॐ प्रकृति ब्रह्मेन्द्री देवी स्वाहा

४९. ॐ गायत्री नित्यचित्रिणी स्वाहा

५०. ॐ मोहिनी माता योगिनी स्वाहा

५१. ॐ सरस्वती स्वर्गदेवी स्वाहा

५२. ॐ अन्नपूर्णी शिवसंगी स्वाहा

५३. ॐ नारसिंही वामदेवी स्वाहा

५४. ॐ गंगा योनि स्वरूपिणी स्वाहा

५५. ॐ अपराजिता समाप्तिदा स्वाहा

५६. ॐ चामुंडा परि अंगनाथा स्वाहा

५७. ॐ वाराही सत्येकाकिनी स्वाहा

५८. ॐ कौमारी क्रिया शक्तिनि स्वाहा

५९. ॐ इन्द्राणी मुक्ति नियन्त्रिणी स्वाहा

६०. ॐ ब्रह्माणी आनन्दा मूर्ती स्वाहा

६१. ॐ वैष्णवी सत्य रूपिणी स्वाहा

६२. ॐ माहेश्वरी पराशक्ति स्वाहा

६३. ॐ लक्ष्मी मनोरमायोनि स्वाहा

६४. ॐ दुर्गा सच्चिदानंद स्वाहा

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2 thoughts on “चौसठ योगिनी मन्दिर, मुरैना – इसी मन्दिर पर आधारित है भारत का संसद भवन”

  1. Comment * हम नागौर राजस्थान से जालोर आइये थे।अग्रवाल परिवार बांसल गोत्र है। कुलदेवी का पता नहीँ हैं।अगर कुलदेवी का पता हो तो सहयता करें।

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