महाराष्ट्रीय ब्राह्मणों का इतिहास तथा गोत्रानुसार कुलदेवियाँ Maharashtrian Brahmin

महाराष्ट्रीय ब्राह्मण समाज ब्राह्मणों का एक प्रमुख समुदाय है जो मुख्य रूप से भारत में महाराष्ट्र राज्य में पाए जाते हैं। वे अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, रीति-रिवाजों और परंपराओं के लिए जाने जाते हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं।

उत्पत्ति और इतिहास

महाराष्ट्रीय ब्राह्मण समाज की उत्पत्ति वैदिक काल में देखी जा सकती है जब ब्राह्मणों ने हिंदू धर्म के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, वेदों के पाठ और संरक्षण के लिए ब्राह्मण जिम्मेदार थे, जो हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ हैं।

महाराष्ट्र में, ब्राह्मणों को उनके व्यवसायों के आधार पर कई समुदायों में संगठित किया गया था, जैसे पुरोहित (पुजारी), शास्त्री (विद्वान) और जोशी (ज्योतिषी)। महाराष्ट्रीय ब्राह्मण समाज एक ऐसा समुदाय है जिसका एक लंबा और शानदार इतिहास है।

महाराष्ट्रीय ब्राह्मण समाज को कई उप-जातियों में विभाजित किया गया है, जैसे देशस्थ, करहाडे, देवरुखे, सारस्वत और चितपावन। प्रत्येक उप-जाति के अपने रीति-रिवाज, परंपराएं और प्रथाएं होती हैं, जिन्हें उनके अद्वितीय इतिहास और अनुभवों द्वारा आकार दिया गया है।

संस्कृति और परंपराएं

महाराष्ट्रीय ब्राह्मण समाज अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, जो इसके रीति-रिवाजों और परंपराओं में परिलक्षित होता है। वे हिंदू धर्म के कट्टर विश्वासी हैं और जीवन के वैदिक तरीके का पालन करते हैं। वे शादियों, जन्म और मृत्यु जैसे महत्वपूर्ण अवसरों को चिह्नित करने के लिए विभिन्न रस्में और समारोह करते हैं।

महाराष्ट्रीय ब्राह्मण ज्योतिष, आयुर्वेद और संस्कृत के क्षेत्र में अपने ज्ञान और विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं। वे अपने पाक कौशल के लिए भी प्रसिद्ध हैं और उन्होंने महाराष्ट्रीयन व्यंजनों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मराठी, जो महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है, अधिकांश महाराष्ट्रीय ब्राह्मणों द्वारा बोली जाने वाली भाषा भी है। उन्होंने मराठी साहित्य, संगीत और कला में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

उपनाम और गोत्र

महाराष्ट्रीय ब्राह्मणों के कई उपनाम और गोत्र हैं, जो उनके वंश और वंश के सूचक हैं। कुछ सामान्य उपनामों में देशमुख, जोशी, कुलकर्णी, भावे और देशपांडे शामिल हैं।

महाराष्ट्रीय ब्राह्मणों के कई गोत्र हैं, जो प्राचीन ऋषियों और ऋषियों के नामों से प्राप्त हुए हैं। कुछ सामान्य गोत्रों में भारद्वाज, कश्यप, वशिष्ठ और कौंडिन्य शामिल हैं।

उल्लेखनीय व्यक्तित्व

महाराष्ट्रीय ब्राह्मण समाज ने कई उल्लेखनीय व्यक्तित्वों का निर्माण किया है जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कुछ प्रमुख हस्तियों में शामिल हैं:

लोकमान्य तिलक – एक स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और समाज सुधारक, लोकमान्य तिलक ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर – एक विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर भारतीय संविधान के एक प्रमुख वास्तुकार और दलित अधिकारों के चैंपियन थे।

लता मंगेशकर – एक प्रसिद्ध पार्श्व गायिका, लता मंगेशकर अपनी सुरीली आवाज के लिए जानी जाती हैं और उन्होंने मराठी, हिंदी और बंगाली सहित कई भाषाओं में गाने रिकॉर्ड किए हैं।

पी.एल. देशपांडे – एक प्रसिद्ध मराठी लेखक, पी.एल. देशपांडे को उनकी विनोदी और व्यंग्यात्मक लेखन शैली और मराठी साहित्य में उनके योगदान के लिए जाना जाता था।

महाराष्ट्रीय ब्राह्मण समाज एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं के साथ ब्राह्मणों का एक प्रमुख समुदाय है। उन्होंने साहित्य, संगीत और कला जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महाराष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

ब्राह्मणोत्पत्तिमार्तण्ड में वर्णित महाराष्ट्रीय ब्राह्मणों का इतिहास (History of Maharashtrian Brahmin Samaj)

संस्कृत के इस ग्रन्थ (ब्राह्मणोत्पत्तिमार्तण्ड) के श्लोकों का अर्थ डॉ रामकुमार दाधीच द्वारा किया गया है।

आसीन्नृपो महातेजाः पुरूरवकुलोद्भवः।

महाराष्ट्रेति विख्यातो यस्य राज्यं महत्तरम्।।

तेनायं भुवि विख्यातो विषयो राष्ट्रसंज्ञकः।

महाशब्दप्रपूर्वश्च यस्य पूर्वे विदर्भकः।।

सह्याद्रिः पश्चिमे प्रोक्तः तापी चैवोत्तरे स्थिता।

हुबली धारवाडाख्यौ ग्रामौ दक्षिणसंस्थितौ।।

राजा पुरुरवा के वंश में महाराष्ट्र नामक एक राजा हुआ।  उसने अपने राज्य का विस्तार करके उसका नाम महाराष्ट्रराज्य रखा। उस राज्य की पूर्वी सीमा में विदर्भ (बराड़), पश्चिम में सह्याद्रिपर्वत, उत्तर में तापी नदी और दक्षिणी सीमा में हुबली और धारवाड़ नामक गाँव थे।

तत्र राज्यप्रकर्त्ता वै महाराष्ट्रो नृपोत्तमः।

यज्ञार्थे कृतसंकल्पो राजाऽऽसीदीक्षितो यदा ।।

आहूता ब्राह्मणास्तेन विन्ध्यस्योत्तरवासिनः ।

तैस्तदा कारितो यज्ञो विधिपूर्वो द्विजोत्तमैः ।।

राज्यसंस्थापक राजा महाराष्ट्र ने यज्ञ का संकल्प करके यज्ञ हेतु विन्ध्यपर्वत से उत्तर दिशा के ब्राह्मण आमंत्रित किए। उन ब्राह्मणों ने विधिपूर्वक यज्ञ कराया।

स्वदेशे वासयामास तान् द्विजान् यज्ञ आगतान् ।

स्वनाम्ना ख्यापयामास दत्वा ग्रामान् सदक्षिणान् ।।

तेन जाता महाराष्ट्र ब्राह्मणाः शंसितव्रताः।

दाक्षिणात्यश्च ते प्रोक्ता देशस्थापर नामकाः।।

राजा ने उनको अपने राज्य में बसाकर अपने राज्य के नाम पर महाराष्ट्र-ब्राह्मण घोषित किया। दक्षिण दिशा के आधार पर वे दाक्षिणात्य ब्राह्मण भी कहे जाने लगे।

महाराष्ट्रीय ब्राह्मणों की कुलदेवियाँ / कुलदेवता (Gotra and Kuldevi / Kuldevta List of Maharashtrian Brahmin Community)

ग्रामउपनामगोत्रकुलदेवी / देवता

1.

जोशी

भारद्वाज

मातापुरी

2.

गीते

वच्छस

मातापुरी

3.

विडवाई

उपमन्यु

मातापुरी

4.

कायदे

हारितस

बालाजी

5.

मूले

काश्यप

नृहरी

6.

वैद्य (माध्यं)

गार्ग्य

गणपति

7.

गोहे

पाराशर

केशवगोविन्द

8.

जोशी

कृष्णात्री

मल्लारी

9.

पाठक

वच्छस

गणपति

10.

देशपाण्डे

सांख्याय

वेंकटेश

11.

शुक्ल

हरितस

महालक्ष्मी

12.

बंडवे

काश्यप

महासरस्वती

13.

पुंड

कौशिक

तुलजापुरी

14.

धर्माधिकारी

जामदग्न्य

मातापुरी

15.

गुरुजी

गार्ग्य

मातापुरी

16.

महाजन

वत्सस

मातापुरी

17.

कुलकर्णी

अत्रिगोपालकृष्ण

18.

अग्निहोत्री

काश्यप

तुलजापुरी / कोल्हापुर / योगेश्वरी

19.

मूले

कृष्णात्रि

सप्तश्रृंगी

20.

पिंगले

हारित

तुलजापुरी

21.

भालेराव

कौण्डिन्य

रासीन

22.

वैद्य (आथ.)

गार्ग्य

मातापुरी

23.

देसाई

मौनभार्ग

बोधन

24.

कानगो

भारद्वाज

मातापुरी

25.

रेहकोले

भारद्वाज

मातापुरी

26.

लामगांवकर

धनंजय

मातापुरी

27.

कुलकर्णी

जामदग्नि

सप्तश्रृंगी

28.

पाटील

विश्वामित्र

सप्तश्रृंगी

29.

स्मार्त

वसिष्ठ

सप्तश्रृंगी

30.

जोशी

वच्छस

मातापुरी

31.

मूले

श्रीवत्स

कुन्दनपुर

32.

हडगे

काश्यप

बोधन

33.

मदन

अत्रि

कुन्दनपुर

34.

वांगे

मौनभार्ग

उमापनी

35.

भगवन्

कौण्डिन्य

रासीन

36.

जोशी

लोहित

कोल्हापुर

37.

जोशी

भारद्वाजयोगेश्वरी

38.

पन्नावटि

शाण्डिल्य

कोल्हापुर

39.

सामक

हारितस

मातापुरी

40.

लेकुरवाले

वात्स्यायन

मोहनीराज

41.

ऋषि

भारद्वाज

साकांत

42.

धर्माधिकारी

उपमन्यु

मोहनीराज

43.

पंचभैया

उपमन्यु

 मोहनी

44. ऋषि भारद्वाजसाकांत 
45.धर्माधिकारी उपमन्यवमोहनीराज 

36 thoughts on “महाराष्ट्रीय ब्राह्मणों का इतिहास तथा गोत्रानुसार कुलदेवियाँ Maharashtrian Brahmin”

  1. उपगडे। गोत्र – गौतम
    कुलदेवी -.जगदंबा भवानी

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  2. Respected Sir,

    Kindly confirm kuldevi for surname ” Telang”, Gotra ” Kaushik ”
    We are ” Hindu Dakshini Marathi Bramhin ”

    Rohit.

    Reply
  3. Please guide me and tell me kuldevi for Kaushik gotra. Please give me list of gotra for modh Brahmins​ and kuldevi. Please reply me.

    Reply
    • मैं अग्निहोत्री ब्राह्मण हूं मध्य प्रदेश से मुझे मेरा गोत्र और कुलदेवी का पता नहीं है जो मुझे मालूम करना है प्लीज मुझे हेल्प कीजिए

      Reply
  4. ऋग्वैदी ब्राह्मण महाराष्ट्र पांडे (कुळकर्णी )गोत्र व कुल देवी कोणशी

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  5. Sir, thank you for making this site on this subject. God bless you all for that. But, the information shared here is not enough to solve the problem. In that case, you may contact Kashi’s Pandit, who keeps all of these information in there books, called “Vanshavali”, where you came to know what is your gotra and Kuldevata. As now, you have taken this challenge, you have to take the next step ahead. Wishing all of you, Best Luck and many many blessings!!!

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  6. Hii.
    My Ganesh Arun Misar full name.
    I don’t know about my kuldevata.
    we got the names but we couldn’t know where is the temple. Please if you know anything about pls let me know.
    Kuldevata names.
    Khandoba.
    Nagoba.
    Waghoba.
    Khadekhudban.
    Durgabai.

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  7. Surname : Joshi
    Gotra : Gautam
    KuladevI : Yogeshwari
    surname : Niturkar
    Gotra : Gautam
    kuladevi : Yogeshwari

    Reply
  8. Hello, my name is Vinit Jadhav I don’t know what is my gotra and kuldevi. Please if you know anything about please let me know.

    Reply
  9. Please upgrade in marathi brahmin
    Surname: Shegawkar
    Gotra : vishnu varsha
    Kuldevi: Mata renuka
    Kuldevta :shri dattatraya
    Deshstha rigvedi brahmin
    Pravar :3

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  10. हिरवे/बेलापुरकर गोत्र गौतम, कुलदेवता केशवगोविंद कुलदेवी रेणुकादेवी, mahur

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  11. Hello sir,
    मै सत्यप्रकाश महाजन हु ।मेरा गोत्र एबं कुलदेवी की नाम बताएँ

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  12. Surname- Kulkarni
    Gotra- Dhananjay
    Ved- Rigved
    Upaved- Ayurved
    Pravar- Dhananjay-Maddhuchhanda-Vishwamitra
    Kuldevi- Shri Chandrala Parmeshwari Sannati Karnataka
    Kuldevta- Shri Venkateshwara Balaji Tirupati AP
    Shaka- Ashwalayan
    Sutra- Gobhil
    Shikha- Dakshin

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