ज्वाला देवी दर्शन व कथा | यहाँ अकबर को भी माननी पड़ी अपनी हार | Mata Jwala Devi Temple Kangra Himachal Pradesh

Mata Jwala Devi Temple Kangra Story in Hindi : ज्वाला देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में कालीधार पहाड़ी के बीच स्थित है। इसकी गणना भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में होती है। शक्तिपीठ वे धाम है जहा देवी सती के अंग गिरे थे। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती की जिह्वा (जीभ) गिरी थी।

Jwala Devi Temple ”Yatra & Darshan” Video :

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चमत्कारिक ज्वालाओं के रूप में नौ देवियां :

इस मंदिर में सदियों से बिना तेल बाती के चमत्कारिक रूप से पृथ्वी के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा होती है। इन नौ ज्योतियो को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है। ज्वालामुखी मंदिर को ज्योता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है। मंदिर की चोटी पर सोने की परत चढी हुई है |

शक्तिपीठ की महिमा

मान्यता है कि सभी शक्तिपीठों में देवी भगवान् शिव के साथ हमेशा निवास करती हैं। शक्तिपीठ में माता की आराधना करने से माता जल्दी प्रसन्न होती है। इसलिए प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु लम्बी यहाँ माता की आराधना करने पहुँचते हैं और और देवी को अपनी श्रद्धा के पुष्प अर्पित करते हैं।

Mata Jwala Devi Temple
Mata Jwala Devi Temple
Jwala Devi ki Shaiyya
Jwala Devi ki Shaiyya

 

अकबर को भी माननी पड़ी हार| Akbar and Dhyanu Bhagat Story:

इस शक्तिपीठ से जुडी एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार मां के इस धाम पर मुगल बादशाह अकबर को भी हार माननी पड़ी थी। कहा जाता है कि एक बार हिमाचल के नादौन गांव का निवासी ध्यानू भक्त अन्य श्रद्धालुओं के साथ माता के दर्शन के लिए जा रहा था। ध्यानू को मुगल बादशाह अकबर के सिपाहियों ने पकड़कर बादशाह अकबर के दरबार में पेश किया। जहां अकबर ने उसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए या फिर मां का चमत्कार दिखाने के लिए कहा।

कहते हैं कि अकबर ने ज्वालादेवी के मंदिर में जल रही ज्योत को बुझाने के लिए सेना से पानी भी डलवाना शुरू कर दिया। परन्तु कई दिनों तक पानी डालने के बाद भी वह आग नहीं बुझ सकी। इस पर बादशाह ने एक घोड़े का सिर काट दिया और ध्यानू भगत से कहा कि यदि मां ज्वालादेवी उसे जिंदा कर देगी तो वह उनके दल को सकुशल जाने देगा।

अकबर की इस चुनौती को स्वीकार कर ध्यानू भगत मां के दरबार में अरदास करने पहुंचे। जहां उनकी प्रार्थना सुन कर मां ने मृत घोड़े को जिंदा कर दिया। इसके बाद अकबर ने अपनी हार स्वीकार करते हुए मां को पूजा का छत्र भेजा। परन्तु मां ने पूजा का छत्र चढ़ाते ही नीचे गिरा दिया, जिसे देखकर अकबर निराश हो गया। इसके बाद उसने ज्वालादेवी के मंदिर में आने वाले भक्तों को कभी नहीं रोका। आज भी यह छत्र इस मंदिर में मौजुद है |

akbar-ka-chadaya-chhatra

चमत्कारी ‘गोरख डिब्बी’ | Gorakh Dibbi – Jwalaji :

ज्वाला देवी शक्तिपीठ में माता की ज्वाला के अलावा एक अन्य चमत्कार देखने को मिलता है। मंदिर परिसर के पास ही ‘गोरख डिब्बी’ नामक देवालय है। यह गोरखनाथ का मंदिर भी कहलाता है। इसके भीतर स्थित कुण्ड में पानी देखने पर गर्म पानी खौलता हुआ प्रतीत होता है जबकि छूने पर कुंड का पानी ठंडा लगता है ।

भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूरी:

आज भी मां के मंदिर में हर दिन हर समय वह दिव्य ज्योत जलती रहती है। मान्यता है कि यहां जो भी एक बार दर्शन कर लेता है, उसकी सभी मनोकामनाएं तुरंत पूरी होती हैं।

How to Reach Jwala Devi Temple:

दिल्ली से ज्वाला जी के लिए हिमाचल परिवहन की सीधी बस  है, इसके अलावा दिल्ली से ऊना तक बस या ऊना हिमाचल (train) ले सकते हैं ऊना से ज्वाला जी के लिए buses मिलती हैं।

चंडीगढ़ से सेक्टर  43 बस स्टैंड से ज्वालाजी के लिए बस सुविधाएँ हैं।

Jwalaji Temple @ Google Map

जानने योग्य कुछ बातें :

१. क्या मंदिर तक पहुँचने के लिए चढ़ाई चढ़नी होती है ?

– जी नहीं। कोई चढ़ाई नहीं है।

२. क्या वृद्ध लोग मंदिर तक पहुँच सकते हैं ?

– हाँ, कोई परेशानी नहीं। ऑटो रिक्शा लेकर मंदिर तक जाया जा सकता है। 

३. मंदिर की Timings क्या है ?

– सुबह 6:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक। 

४. जागरण आदि के लिए देवी की ज्योति कैसे पाएं ?

– मंदिर के पुजारियों से बात करके आप ज्वालाजी की ज्योति पा सकते हैं। 

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