सुस्वागतम्

भारतीय संस्कृति के अनुसार देवी ही एकमात्र तत्त्व  है। सब उसी से जन्म लेते हैं और उसी में समा जाते हैं। वेद का वचन है- देवी ह्येकाग्र आसीत्। सा सर्वमजीजनत्। अर्थात् पहले एकमात्र देवी ही थी। उसी ने सबको जन्म दिया। इस प्रकार देवी मातृशक्ति है। मातृशक्ति के तीन लोकप्रिय रुप हैं- कुलदेवी माँ, माता, और कन्या। दुर्दैववश आधुनिक समाज में कुलदेवियों के विषय में जानकारी कम होती जा रही है। अतः अनेक लोग अपने कुलदेवी धाम पर नहीं जा पाते हैं। माता के प्रति आस्था कम होने से कुछ माताओं को वृद्धाश्रम में रहना पड़ता है। कन्याभ्रूणहत्या के कारण कन्या संरक्षण का सामाजिक चिन्तन मुखर हो रहा है। मातृशक्ति मिशन के अन्तर्गत तीन प्रवृतियाँ संचालित हैं-(1) कुलदेवी शोध-परियोजना (2) मातृमहिमा शोध-परियोजना (3) कन्यामहिमा शोध-परियोजना। (1) कुलदेवी शोध-परियोजना – इस परियोजना में अम्बामाता, आशापूरामाता, करणीमाता, जीणमाता, दधिमथीमाता, सच्चियायमाता, सुन्धामाता, हिंगलाजमाता, कैलामाता, गुड़गाँव वाली माता तथा अग्रोहा की महालक्ष्मी माता का परिचयात्मक इतिहास (कुलदेवीकथामहात्मय) प्रकाशित किया जा चुका है। (2) मातृमहिमा शोध-परियोजना – विश्व-साहित्य में माता की महिमा से सम्बन्धित अनेक बातें उपलब्ध हैं। इस शोध-परियोजना में उनका संकलन किया गया है। आपसे निवेदन है कि वे ग्रन्थों में उपलब्ध अन्य उद्धरण इस परियोजना में प्रकाशन हेतु प्रेषित करें। साहित्यकार स्वरचित मौलिक सुभाषित या लघु कविता प्रेषित करें। (3) कन्यामहिमा शोध-परियोजना – कन्या देवीरुपा हाती है, इसलिए नवरात्र में कन्यापूजन का प्रचलन है। दुर्भाग्यवश समाज में कन्याभ्रूणहत्या की सामाजिक विकृति चल पड़ी है। कन्या के संरक्षण एवं सामाजिक गरिमा के विषय में जनजागृति आवश्यक है। इस परियोजना में जनजागृति हेतु विचार-बिन्दु प्रकाशित किए गए हैं। आपसे निवेदन है कि प्रेरक विचार सुभाषित या कविता रुप में प्रेषित करें।

17 thoughts on “सुस्वागतम्”

  1. श्रीमंत , मेरा अहोभाग्य है कि मैं इस साइट पर आया , बहुत प्रभावशाली और आकर्षक बन पडी है। आशा करता हूँ कि इसके पन्नो पर नित नए आलेख जुड़ेंगे। समयानुसार मैं भी योगदान देना चाहूंगा। मेरी सम्प्रीति एवं शुभ-कामनाएं।

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  2. आपका ब्लोग अच्छा लगा !
    आपसे खास तौर पर निवेदन करता हुं और उम्मीद भी है कि मेरी समस्या का समाधान जरुर करेगें समस्या ये कि मे पुरोहित जाती से उदेश या गोमट गोत ऋषि उदालक से लेकिन माँ कुलदेवी कुलदेवता भैरव गणपती आदि से भ्रमीत हुँ रावजी,पुर्वज,सभी ने अलग अलग कोई माँ चामुंड,अम्बे,ब्रह्माणी,मम्ईमाता,का पुजन करते है पर मै भ्रमीत हुं कि इन में से कौनसी माँ को मानु और तन मन से पुजा करु ?

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  3. लक्ष्मण जी, इस बारे में जानकारी प्राप्त होते ही आपको सूचित कर दिया जायेगा। आपका बहुत धन्यवाद

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  4. कृपा जानकारी हुई हो तो मुझे अवगत करे
    आज फिर पुरे एक वर्ष के बाद आपसे अर्ज कर रहा हुँ

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  5. कृपा जानकारी हुई हो तो मुझे अवगत करे
    आज फिर पुरे एक वर्ष के बाद आपसे अर्ज कर रहा हुँ

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  6. आप का कार्य धन्यवाद के पात्र हे श्री मान

    त्रिपुरा सुन्दरी का एक प्राचीन मदिर जो राजा सिद्ध राज ने गुजरात में बनाया हे क्या आप को पता हे

    माँ त्रिपुरा का गुजरात में मंदिर

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  7. I much like the helpful info you provide inside your articles.
    I will bookmark your blog and take a look at once again below regularly.

    I am just rather sure I’ll be told a lot of new stuff right here!
    Best of luck for another!

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