
भीलवाड़ा जिले में शाहपुरा से लगभग 30 की. मी. उत्तर-पूर्व में स्थित धनोप ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्त्व का प्राचीन स्थान है । यहाँ से विभिन्न अवसरों पर खुदाई के समय सजीव और कलात्मक मूर्तियाँ,मिट्टी के बर्तन,पक्की ईंटे,पत्थर के उपकरण,सिक्के,अलंकृत जालियाँ,झरोखे आदि का मिलना यह संकेतित करता है कि अतीत्त में यह एक समृद्धशाली नगर रहा होगा ।
देवी के इस प्राचीन मन्दिर में अन्नपूर्णा, चामुण्डा और कालिकामाता की अत्यन्त सजीव और कलात्मक प्रतिमाएँ प्रतिष्ठापित हैं जो पूर्वाभिमुख हैं । वहाँ भैरु जी का स्थान तथा शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश व चौसठ योगनियों की प्रतिमाएँ भी विद्यमान हैं । मन्दिर के प्रवेश द्वार पर शिशु को गोद में लिए चतुर्भुजी देवी प्रतिमा (अम्बिका) सजीव और भावपूर्ण है । मन्दिर के भव्य सभामण्डप के विषय में कहा जाता है कि यह पृथ्वीराज चौहान (तृतीय) के शासनकाल में बना था । वैसे तो दर्शनार्थी प्रतिदिन देवी दर्शन के लिए मन्दिर में आते हैं पर नवरात्र में धनोपमाता का मेला भरता है । यात्रियों की सुविधा के लिए धर्मशालाएँ और विश्रामगृह भी बने हैं ।
Dhanop Mata ki Jai
बहुत ही भव्य मंदिर है ।
NYC Temple