
Baba Ramdev Temple History in Hindi : जन-जन का आस्था का केन्द्र रामदेवरा जोधपुर जिले में पोकरण नामक ग्राम से लगभग 21 कि.मी. उत्तर दिशा में स्थित है । यह धाम जोधपुर-पोकरण रेलमार्ग एवं बीकानेर-रामदेवरा मोटर मार्ग से जुड़ा हुआ है । बाबा रामदेवजी ने अपने निवास-स्थान पोकरण को अपनी भतीजी को दहेज में दे देने के उपरान्त पोकरण से 12 कि.मी. उत्तर की ओर अपना नया निवास बनाया, उसका नाम उन्होंने अपने नाम पर रामदेवरा रखा ।
श्री रामदेव जी का जन्म संवत् 1409 में भाद्र मास की दूज को राजा अजमल जी के घर हुआ । संवत् 1426 में अमर कोट के ठाकुर दल जी सोढ़ की पुत्री नैतलदे के साथ श्री रामदेव जी का विवाह हुआ । संवत् 1425 में रामदेव जी महाराज ने पोकरण से 12 कि०मी० उत्तर दिशा में एक गांव की स्थापना की जिसका नाम रूणिचा रखा । भगवान रामदेव जी अतिथियों की सेवा में ही अपना धर्म समझते थे । अंधे, लूले-लंगड़े, कोढ़ी व दुखियों को हमेशा हृदय से लगाकर रखते थे । वर्तमान में रूणिचा को रामदेवरा के नाम से पुकारा जाता है ।


वि.सं. संवत् 1442 को रामदेव जी ने जीवित समाधी ली । बाबा ने जिस स्थान पर समाधी ली, उस स्थान पर बीकानेर के राजा गंगासिंह ने भव्य मंदिर का निर्माण करवाया इस मंदिर में बाबा की समाधी के अलावा उनके परिवार वालो की समाधियाँ भी स्थित है । मंदिर परिसर में बाबा की मुंहबोली बहिन डाली बाई की समाधी, डालीबाई का कंगन एवं राम झरोखा भी स्थित हैं ।
बाबा रामदेव जी का समाधी लेने से पूर्व जन जन को दिया गया संदेश
महे तो चाल्या म्हारे गाँव, थां सगळा ने राम राम
जग में चमके थारों नाम, करज्यों चोखा चोखा काम
ऊँचो ना निंचो कोई, सरखो सगळा में लोही
कुण बामण ने कुण चमार, सगळा में वो ही करतार
के हिन्दू के मुसळमान, एक बराबर सब इंशान
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, भजता रहिज्यों सुबह शाम
म्हे तो चाल्या म्हारे गाँव, थां सगळा ने राम राम
थां सगळा ने राम राम
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