यदु वंश /यादवों का इतिहास, शाखायें व कुलदेवी | History of Yadu Vansh | Yadav Samaj ka Itihas | Khaanp | Kuldevi

यदुवंश का परिचय व इतिहास 

भारत की समस्त जातियों में यदुवंश बहुत प्रसिद्ध है | माना जाता है कि इस वंश की उत्पत्ति श्रीकृष्ण के चन्द्रवंश से हुई है। यदु को सामान्यतः जदु भी कहते हैं तथा ये पूरे भारत में बसे हुए हैं। श्रीकृष्ण के पुत्रों प्रद्युम्न तथा साम्ब के ही वंशज यादव कहलाये। इन्हीं के वंशज जावुलिस्तान तक गए और गजनी तथा समरकन्द के देशों को बसाया।  इसके बाद फिर भारत लौटे और पंजाब पर अधिकार जमाया, उसके बाद मरुभूमि यानी राजस्थान आये, और वहाँ से लङ्गधा, जोहिया और मोहिल आदि जातियों को निकालकर क्रमशः तन्नोट, देराबल और सम्वत् 1212 में जैसलमेर की स्थापना की।

जैसलमेर में इसी वंश में ‘भाटी’ नामक एक प्रतापी शासक हुआ। इसी के नाम से यहाँ का यदुवंश भाटी कहलाया।  भाटी के पुत्र ‘भूपति’ ने अपने पिता के नाम से ‘भटनेर’ की स्थापना की।

यदुवंश के नाम को धारण करने वाले करौली के नरेश हैं। यदुकुल की यह शाखा अपने मूल स्थान शूरसेनी (मथुरा के आसपास का क्षेत्र) के निकट ही स्थित है।  इनके अधिकार में पहले बयाना था परन्तु वहां से निष्कासित कर दिए जाने के बाद ,इन्होंने चम्बल के पश्चिम में करौली और पूर्व में सबलगढ़ (यदुवाटी) स्थापित किए।

यदुवंश की शाखाएं 

यदुवंश की आठ शाखाएं हैं-

1. यदु            करौली के राजा |

2. भाटी          जैसलमेर के राजा |

3. जाडेजा       कच्छभुज के राजा |

4. समेचा        सिन्ध के निवासी |

5. मुडैचा

6. विदमन      अज्ञात

7. बद्दा

8. सोहा

एक शाखा ‘जाडेजा’ जाति है। जाडेजा की दो शाखाएं हैं – सम्मा और सुमरा। सम्मा अपने को श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब का वंशज बताते हैं। कच्छ भुज का राजवंश जाडेजा था। समेचा सिन्ध के मुसलमान हो गए। इस जाति के लोग कई कारणों से सिन्ध के मुसलमानों से ऐसे मिलजुल गये हैं कि अपना जाति अभिमान सर्वथा खो दिया है। यह साम से जाम बन गये हैं।  जाडेजों के रीति रिवाज मुसलमानों से मिलते हैं। उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भ तक वे मुसलमानों का बनाया खाना खाते थे। अब वे पुनः हिन्दुओं की रीति-नीति पर चलने लगे हैं।

यादवों के राज्य 

  • जैसलमेर 
  • करौली 
  • सेउण (नासिक और देवगिरि मध्य का क्षेत्र)
  • देवगिरि 
  • मैसूर 
  • विजयनगर 
  • द्वार समुद्र जूनागढ़ (गुजरात)
  • कच्छ-भुज 
  • नवानगर (जामनगर)
  • धौलपुर 

यादवों की खांपें 

1. भाटी | Bhati –

श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युमन के वंशजों में भाटी नामक एक प्रसिद्ध शासक हुआ | उसी के वंशज भाटी कहलाये | भाटियों की मुख्य रियासत जैसलमेर थी और बीकानेर राज्य में पूगल इनका बड़ा ठिकाना था | यहाँ पहले जैसलमेर से पूर्व जैसलमेर की स्थापना के बाद के रावलों से निकास होने वाली भाटी खांपों का वर्णन किया जाएगा | 

 1.) अभोरिया भाटी :- 

भाटी के बाद क्रमशः भूपति,भीम,सातेराव,खेमकरण,नरपत,गज,लोमनराव,रणसी,भोजसी, व अभयराव हुए | इसी अभयराव के वंशज अभोरिया भाटी कहलाये | 

2.) गोगली जाट :-

भोजजी के पुत्र मंगलराव के बाद क्रमशः मंडनराव,सूरसेन,रघुराव,मूलराज,उदयराज व मझबराव हुए | मझबराव के पुत्र गोगली के वंशज गोगली भाटी हुए | बीकानेर राज्य में जेगली गाँव इनकी जागीर में था | ये भाटी आज भी यहाँ है |   

3.) सिंधराव भाटी :-

मझबराव के भाई सिंधराव के वंशज सिंधराव भाटी हुए |(नैणसी री ख्यात भाग 2 पृ. 66) पूगल क्षेत्र में जोधासर (डेली) मोतीगढ़,मकेरी,सिधसर,पंचकोला आदि इनकी जागीर थी | बाद में रियासर,चौगान,डंडी,सपेराज व लद्रासर इनकी जागीर रही | 

4.) लडुवा भाटी :-

मझबराव के पुत्र मूलराज के पुत्र लडवे के वंशज | 

5.) चहल भाटी :-

मूलराज के पुत्र चूहल के वंशज | 

6.) खंगार भाटी :-

मझबराव के पुत्र गोगी के पुत्र खंगार के वंशज | 

7.) धूकड़ भाटी :-

गोगी के पुत्र धूकड़ के वंशज | 

8.) बुद्ध भाटी :-

मझबराव के पुत्र संगमराव के पुत्र राजपाल और राजपाल का पुत्र बुद्ध हुआ | इस बुद्ध के बुद्ध भाटी हुए | (पूगल का इतिहास पृ. 22)

9.) धाराधर भाटी :-

बुद्ध के पुत्र कमा के नौ पुत्रों के वंशज धाराधर स्थान के नाम से धाराधर भाटी हुए |

10.) कुलरिया भाटी :-

मझबराव के पुत्र गोगी के पुत्र कुलर के वंशज (गोगी के कुछ वंशज अभेचड़ा मुसलमान हैं | )

11.) लोहा भाटी :-

मझबराव के पुत्र मूलराज के पुत्र लोहा वंशज (नैणसी री ख्यात भाग 2 सं. साकरिया पृ. 53)

12.) उतैराव भाटी :-

मझबराव के बड़े पुत्र केहर के पुत्र उतैराव के वंशज |

13.) चनहड़ भाटी :-

केहर के पुत्र चनहड़ के वंशज |

14.) खपरिया भाटी :-

रावल केहर के पुत्र खपरिया के वंशज |

15.) थहीम भाटी :-

रावल केहर के पुत्र थहीम के वंशज |

16.) जैतुग भाटी :-

रावल केहर के पुत्र तनु (तनु के पिता के पुत्र जाम के वंशज साहूकार व्यापारी है | तनु के पुत्र माकड़ के माकड़ सूथार,देवास के वंशज रैबारी,राखेचा के राखेचा,ओसवाल,डूला,डागा और चूडा के क्रमशः डूला,अदग व चांडक महेश्वरी हुए | (पूंगल इतिहास पृ. 22 व जैसलमेर ख्यात पृ. 37) के वंशज |

17.) घोटक भाटी :-

तनु के पुत्र घोटक के वंशज |

18.) चेदू भाटी :-

तनु के पुत्र विजयराज के पुत्र देवराज हुए | देवराज के पुत्र चेदू के वंशज चेदू भाटी कहलाये | (राज. इति.प्र. भाग गहलोत पृ. 654)

19.) गाहड़ भाटी :-

तनु के पुत्र विजयराज के पुत्र गाहड़ के वंशज |

20.) पोहड़ भाटी :-

विजयराज के बाद क्रमशः मूध,राजपाल व पोहड़ हुए |

21.) छेना भाटी :-

पोहड़ भाई के छेना के वंशज |

22.) अटैरण भाटी :-

पोहड़ के भाई अटेरण के वंशज |

23.) लहुवा भाटी :-

पोहड़ के भाई लहुवा के वंशज |

24.) लापोड़ भाटी :-

पोहड़ के भाई लापोड़ के वंशज |

25.) पाहु भाटी :-

विजयराज के बाद क्रमशः देवराज,मूंध,बच्छराज,बपेराव व पाहु हुए | इसी पाहु के वंशज पाहु भाटी कहलाये | जैसलमेर राज्य में चझोता,कोरहड़ी,सताराई आदि इनके गांव थे | (नैणसी री ख्यात भाग 2- साकरिया पृ. 11) पूगल ठिकाने में रामसर इनकी जागीर था |

26.) इणधा भाटी :-

विजयराज के बाद क्रमशः देवराज,मूंध,बच्छराज व इणधा हुए | इसी इणधा के वंशज इणधा भाटी हुए |

27.) मूलपसाव भाटी :-

इणधा के भाई मूलपसाव के वंशज |

28.) धोवा भाटी :-

मूलपसाव के पुत्र धोवा के वंशज |

29.) पावसणा भाटी :-

रावल बच्छराज (जैसलमेर) के बाद दुसाजी रावल हुए | दुसाजी के वंशज पाव के पुत्र पावसना भाटी कहलाये |

30.) अबोहरिया भाटी :-

रावल दुसाजी के पुत्र अभयराव के वंशज |

31.) राहड़ भाटी :-

रावल दुसाजी के पुत्र रावल विजयराज लांजा (विजयराज लांजा के एक वंशज मागलिया के वंशज मांगलिया मुसलमान हुए | (जैसलमेर की ख्यात परम्परा पत्रिका पृ. 44) के पुत्र राहड़ के वंशज |

32.) हटा भाटी :-

रावल विजयराज के पुत्र हटा के वंशज |

33.) भींया भाटी :-

रावल विजयराज लांजा के पुत्र भीव के वंशज |

34.) बानर भाटी :-

विजयराज लांजा के भाई जैसल के पुत्र रावल शालिवाहन द्वितीय हुए | इसी शालिवाहन के पुत्र बानर के वंशज भाटी हुए |

35.) पलासिया भाटी :-

रावल शालिवाहन के पुत्र हंसराज हुए | हंसराज के पुत्र मनरूप के वंशज पलास के पलासिया भाटी हुए | हिमाचल प्रदेश में नाहन,सिरमौर,महेश्वर पलासिया भाटियों के राज्य थे | मनरूप का एक पुत्र नूंनहा और पलासिया भाटियों की दो शाखाएं हिमाचल प्रदेश में हैं |

36.) मोकल भाटी :-

शालिवाहन द्वितीय के पुत्र मोकल के वंशज | मनरूप का एक वंशज वधराज नाहम गोद गया |

37.) महाजाल भाटी :-

रावल शालिवाहन पुत्र सातल के वंशज महाजाल के वंशल महाजाल भाटी हुए |

38.) जसोड़ भाटी :-

रावल शालिवाहन द्वितीय के चाचा तथा रावल जैसल के पुत्र केलण थे | केलण के पुत्र पाहलण के पुत्र जसहड़ के वंशज जसोड़ भाटी हुए | पूगल ठिकाने का बराला गांव इनकी जागीर में रहा |

39.) जयचंद भाटी :-

जसहड़ के भाई जयचंद के वंशज |

40.) सीहड़ भाटी :-

जयचंद के पुत्र कैलाश के पुत्र करमसी के पुत्र सीहड़ हुआ | इसी सीहड़ के पुत्र सिहड़ भाटी हुए |

41.) बड़ कमल भाटी :-

जयचंद भाटी के भाई आसराव के पुत्र भड़कमल के वंशज |

42.) जैतसिंहोत भाटी :-

रावल केलण (जैसलमेर) के बाद क्रमशः चाचक,तेजसिंह व जैतसिंह हुए | इसी जैतसिंह के वंशज जैतसिंहोत भाटी हुए |

43.) चरड़ा भाटी :-

रावल जैतसिंह के भाई कर्णसिंह के क्रमशः लाखणसिंह,पुण्यपाल व चरड़ा हुए | इसी चरड़ा के वंशज चरड़ भाटी हुए |

44.) लूणराव भाटी :-

जैसलमेर के रावत कर्णसिंह के पुत्र सतरंगदे के पुत्र लूणराव के वंशज |

45.) कान्हड़ भाटी :-

रावल जैतसिंह के पुत्र कान्हड़ के वंशज |

46.) ऊनड़ भाटी :-

कान्हड़ के भाई ऊनड़ के वंशज |

47.) सता भाटी :-

कान्हड़ के भाई ऊनड़ के वंशज |

48.) कीता भाटी :-

सता के भाई कीता के वंशज |

49.) गोगादे भाटी :-

कीता के भाई गोगादे के वंशज |

50.) हम्मीर भाटी :-

गोगादे के भाई हम्मीर के वंशज |

51.) हम्मीरोत भाटी :-

जैसलमेर के रावल जैतसिंह के बाद क्रमशः मूलराज,देवराज व हम्मीर हुए | इसी हम्मीर के वंशज हम्मीरोत भाटी कहलाते हैं | जैसलमेर राज्य में पहले पोकरण इनकी थी | मछवालों गांव भी इनकी जागीर में था | जोधपुर राज्य में पहले खींवणसर पट्टे में था | नागौर के गांव अटबड़ा व खेजड़ला इनकी जागीर में था | जोधपुर राज्य में बहुत से गांव में इनकी जागीर थी |

52.) अर्जुनोत भाटी :-

हम्मीर के पुत्र अर्जुन अर्जुनोत भाटी हुए | (नैणसी री ख्यात सं. साकरिया भाग 2 पृ.144 )

53.) केहरोत भाटी :-

रावल मूलराज के पुत्र रावल केहर के वंशज | (अ) पूंगल का इतिहास पृ. 67 (ब) जैसलमेर की ख्यात (परम्परा पत्रिका ) पृ. 53

54.) सोम भाटी :-

रावल केहर के पुत्र मेहजल के वंशज | मेहाजलहर गांव (फलोदी) इनका ठिकाना था |

55.) रूपसिंहोत भाटी :-

सोम के पुत्र रूपसिंह के वंशज |

56.) मेहजल भाटी :-

सोम के पुत्र मेहजल के वंशज | मेहाजलहर गांव (जैसलमेर राज्य) इनका ठिकाना रहा है |

57.) जैसा भाटी :-

रावल केहर के पुत्र कलिकर्ण के पुत्र जैसा के वंशज जैसा भाटी हुए | जैसा चित्तौड़ गए | वहां ताणा 140 गांवों सहित मिला था | इनके वंशज नीबा राव मालदेव जोधपुर के पास रहे थे | जोधपुर राज्य में इनकी बहुत से गांवों की जागीर थी | इनमें लवेरा (25 गांव) बालरणा (15 गांव), तीकूकोर आदि मुख्य ठिकाने थे | बीकानेर राज्य में कुदसू तामजी ठिकाना था |

58.) सॉवतसी भाटी :-

कलिकर्ण के पुत्र सांवतसिंह के वंशज | कोटडी (जैसलमेर) इनका मुख्य ठिकाना था |

59.) एपिया भाटी :-

सांवतसिंह के पुत्र एपिया के वंशज |

60.) तेजसिंहोत भाटी :-

रावल केहर के पुत्र तेजसिंह के वंशज |

61.) साधर भाटी :-

रावल केहर के बाद क्रमशः तराड़,कीर्तसिंह, व साधर हुए | इसी साधर के वंशज साधर भाटी कहलाये |

62.) गोपालदे भाटी :-

रावल केहर के पुत्र तराड़ के पुत्र गोपालदे के वंशज |

63.) लाखन (लक्ष्मण) भाटी :-

रावल केहर के पुत्र रावल लाखन (लक्ष्मण) के वंशज |

64.) राजधर भाटी :-

रावल लाखन के पुत्र राजधर के वंशज | जैसलमेर राज्य में धमोली,सतोई,पूठवास,धधड़िया,सुजेवा आदि ठिकाने थे |

65.) परबल भाटी :-

रावल लाखन के पुत्र शार्दूल के पुत्र पर्वत के वंशज |

66.) इक्का भाटी :-

रावल लाखन के बाद क्रमशः रूपसिंह,मण्डलीक व जैमल हुए | जैमल ने भागते हुए हाथी को दोनों हाथों से पकड़ लिया अतः बादशाह ने इक्का (वीर) की पदवी दी | इन्हीं के वंशधर इक्का भाटी कहलाये | (राज. इतिहास भाग 1 जगदीश सिंह पृ. 667) ये भाटी पोकरण तथा फलौदी क्षेत्र में हैं |

67.) कुम्भा भाटी :-

रावल लाखन के पुत्र कुम्भा के वंशज | दुनियापुर गांव इनकी जागीर में था |

68.) केलायेचा भाटी :-

रावल लाखन के बाद क्रमशः बरसी,अगोजी व कलेयेचा हुए | इन्हीं केलायेचा के वंशज केलायेचा भाटी कहलाये |

69.) भैसड़ेचा भाटी :-

रावल लाखन के पुत्र रावल बरसिंह के पुत्र मेलोजी के वंशज |

70.) सातलोत भाटी :-

रावल बरसी के पुत्र रावल देवीदास के पुत्र मेलोजी के वंशज |

71.) मदा भाटी :-

रावल देवीदास के पुत्र मदा के वंशज |

72.) ठाकुरसिंहोत भाटी :-

रावल देवीदास के पुत्र ठाकुरसिंहोत के वंशज |

73.) देवीदासोत भाटी :-

रावल देवीदास के पुत्र रामसिंह के वंशज देवीदास दादा के नाम से देवीदासोत भाटी कहे जाने लगे | सणधारी (जैसलमेर राज्य) इनका ठिकाना था |

74.) दूदा भाटी :-

रावल देवीदास के पुत्र दूदा के वंशज |

75.) जैतसिंहोत भाटी :-

रावल देवीदास के पुत्र रावल जैतसिंह के पुत्र मण्डलीक के वंशज जैतसिंह के नाम से जैतसिंहोत भाटी कहलाये |

76.) बैरीशाल भाटी :-

रावल जैतसिंह के पुत्र बैरीशाल के वंशज |

77.) लूणकर्णोत भाटी :-

रावल जैतसिंह के पुत्र रावल लूणकर्ण के वंशज | इनको मारोठिया रावलोत भाटी भी कहते हैं |

78.) दीदा भाटी :-

रावल लूणकर्ण के एक पुत्र दीदा के वंशज |

79.) मालदेवोत भाटी :-

रावल लूणकर्ण के पुत्र मालदेव के वशज मालदेवोत भाटी कहलाये | खीवलो,बोकारोही,गुर्दा,खोखरो,चौराई,भेड़,मौखरी,पूनासर आदि जोधपुर तथा जैसलमेर राज्य में इनके ठिकाने रहे हैं |

80.) खेतसिंहोत भाटी :-

मालदेव के एक पुत्र खेतसिंह के वंशज |

81.) नारायणदासोत भाटी :-

खेतसिंह के भाई नारायणदास के वंशज |

82.) सहसमलोत भाटी :-

खेतसिंह के भाई सहसमल के वंशज | आसियां, नवसर (पांच गांव ) रिड़मलसर (12 गांव ) खटोड़ी आदि ठिकाने रहे हैं |

83.) नेतसोत भाटी :-

खेतसिंह के भाई डूंगरसिंह के वंशज |

84.) डूंगरोत भाटी :-

खेतसिंह के भाई डूंगरसिंह के वंशज |

85.) द्वारकादासोत भाटी :-

खेतसिंह के पुत्र ईश्वरदास के वंशज द्वारकादास के वंशज द्वारकादासोत भाटी कहलाये | छापण,टेकरी,बास,कोयलड़ी,बड़ागांव,डोगरी आदि गांवों की जागीर थी |

86.) बिहारीदासोत भाटी :-

खेतसिंह के पुत्र बिहारीदास के वंशज | बड़ागांव,डोगरी आदि गांवों की जागीर थी |

87.) संगतसिंह भाटी :-

खेतसिंह के पुत्र संगतसिंह के वंशज | सतयाव,घटयाणी,बालावा, आदि गांवों की जागीर थी |

88.) अखैराजोत भाटी :-

खेतसिंह के बाद क्रमशः पंचायण,सुजाणासिंह,रामसिंह, व अखैराज हुए | इन्हीं अखैराज के वंशज अखैराजोत भाटी हुए | हरसारी,रावर आदि गांव इनकी जागीर थे |

89.) कानोत भाटी :-

खेतसिंह के पुत्र पंचायण के पुत्र कान के वंशज |

90.) पृथ्वीराजोत भाटी :-

खेतसिंह के पुत्र पंचायण के पुत्र कान के वंशज |

91.) उदयसिंहोत भाटी :-

पंचायण के पुत्र रामसिंह के फतहसिंह और फतहसिंह के उदयसिंह हुए | इन्हीं उदयसिंह के वंशज उदयसिंहोत भाटी कहलाये | झाणा,अलीकुडी,झिझयाणी,निबली,गेहूं झाडली,हमीरो देवड़ा आदि इनके ठिकाने थे |

92.) दुजावत भाटी :-

पंचायण के पुत्र रामसिंह के पुत्र दुर्जन के वंशज | चेलक इनकी जागीर थी |

93.) तेजमालोत भाटी :-

रामसिंह के पुत्र तेजमाल के वंशज | रणधा,मोढ़ा आदि इनके ठिकाने थे | (जैसलमेर की ख्यात पृ. 70 )

94.) गिरधारीदासोत भाटी :-

पंचायण के भाई बाघसिंह के पुत्र गोरधन के पुत्र गिरधारीसिंह के वंशज | छोड़ इनकी जागीर थी |

95.) वीरमदेवोत भाटी :-

पंचायण  के भाई धनराज के पुत्र वीरमदे के वंशज | अडू,केसू आदि गांवों की जागीर थी |

96.) रावलोत भाटी :-

खेतसिंह के बड़े पुत्र सबलसिंह,जैसलमेर के रावल हुए | इन्हीं रावल सबलसिंह के वंशज रावलोत भाटी हुए | जैसलमेर राज्य में दूदू,नाचणा,लाखमणा आदि बड़े ठिकाने थे | इनके अलावा पोथला,अलाय,सिचा व गाजू (मारवाड़) कीरतसर (बीकानेर राज्य) मोलोली व मोई (मेवाड़) उल्ल्लै शाहपुरा (मेवाड़) तथा जैसलमेर राज्य में लाठी,लुहारीकी,खरियो,सतो आदि इनके ठिकाने थे |

97.) रावलोत देरावरिया भाटी :-

रावल मालदेव जैसलमेर के पुत्र झानोराम के पुत्र रामचन्द्र थे | जैसलमेर के रावल मनोहरदास (वि. 1684-1707) के निःसंतान रहने पर रामचन्द्र जैसलमेर के रावल बने पर थोड़े ही समय के बाद मालदेव के पौत्र सबलसिंह जैसलमेर के रावल बन गए | रामचन्द्र को देरावर का राज्य दिया गया | रामचन्द्र के वंशज इसी कारण रावलोत देरावरिया कहलाते हैं | रामचन्द्र के वंशजों से देरावर मुसलमानों ने छीन ली तब रामचन्द्र के वंशज रघुनाथसिंह के पुत्र जालिमसिंह को बीकानेर राज्य की ओर से गाड़ियाला का ठिकाना मिला | इनके अतिरिक्त टोकला,हाडला,छनेरी (बीकानेर राज्य) इनके ठिकाने थे |

98.) केलण भाटी :-

जैसलमेर के रावल केहर के बड़े पुत्र केलण थे | पिता की इच्छा के बिना महेचा राठोड़ों के यहां शादी करने के कारण केहर ने उनको निर्वासित कर अपने दूसरे पुत्र लक्ष्मण को अपना उत्तराधिकारी बनाया | (बीकानेर राज्य का इतिहास भाग 2 ओझा पृ. 664) इसी केलण के वंशज केलण भाटी कहलाये | केलण ने अपने राज्य विस्तार की तरफ ध्यान दिया, अजा दहिया को परास्त कर देरावर पर अधिकार किया तत्पश्चात मारोठ,खाराबार,हापासर मोटासरा आदि सहित 140 गांवों पर अधिकार किया |

99.) विक्रमाजीत केलण भाटी :-

केलण के पुत्र विक्रमाजीत के वंशज |

100.) शेखसरिया भाटी :-

केलण के पुत्र अखा के वंशज स्थान के कारण शेखसरिया भाटी कहलाये |

101.) हरभम भाटी :-

राव केलण के पुत्र हरभम के वंशज | नाचणा,स्वरूपसार आदि (जैसलमेर राज्य) इनकी जागीर में था |

102.) नेतावत भाटी :-

राव के केलण के बाद क्रमशः चाचक,रणधीर व नेता हुए | इसी नेता के वंशज नेतावत भाटी हुए | पहले देरावर और बाद में नोख,सेतड़ा आदि गांव इनकी जागीर में थे | चाचक के एक पुत्र भीम के भमदेवोत भाटी भी कहलाये |

103.) किशनावत भाटी :-

रावल चाचकदे (पूगल) के पुत्र बरसल के पुत्र शेखावाटी थे | शेखा भाटी के पुत्र बाध के पुत्र बरसल के पुत्र शेखा थे | शेखा भाटी के पुत्र बाघ के पुत्र किशनसिंह के वंशज किशनावत भाटी कहलाये | किश्नावत भाटियों के हापसर,पहुचेरा रायमलवाली,खारबारा (140 गांव ) राणेर,चुडेहर (वर्तमान अनूपगढ़ )भाणसर,शेरपुरा,मगरा,स्योपुरा,सरेहहमीरान,देकसर,जगमालवाली,राडेवाली,लाखमसर,भोजवास,डोगड़ आदि गांवों पर इनका अधिकार रहा था | इनमें खराबार व राणेर बीकानेर राज्य में ताजमी ठिकाने थे | जोधपुर राज्य में मिठड़ियों,चोमू,सावरीज व कालाण आदि ठिकाने थे |

104.) खींया भाटी :-

पूगल के राव शेखा के पुत्र खेमल (खींया) के वंशज खींया भाटी कहलाये |

खींया भाटियों की निम्न खापें हैं |

1) जैतावत :-

शेखा के पुत्र खेमल (खीया) के पुत्र जैतसिंह के वंशज जैतावत हैं | बरसलपुर (41 गांव) इनका मुख्य ठिकाना था | इसके अतिरिक्त मुसेवाला,गनीवाला,मगनवाला,भैरुवाला,रोहिड़ीवाला,भटियांवाला,दोहरिया,निसूमा,तंवरावली,गंगासर,बालाबालस,मीडिया बिकानरी,अलुसर,कंवरवाला,चीला काश्मीर आदि ठिकाने थे |

2) करणोत :-

खेमल (खीयां) के पुत्र करण के वंशज है | जयमलसर (27 गांव) इनका मुख्य ठिकाना था | इनके अलावा नोखा और मालकसर की जागीर करणसिंह की जागीर करणसिंह के पास रही थी | इनके अतिरिक्त नांदड़ा,खजोड़ा,बोरल का खेत,नोखा का बास चोरड़ियान,बास खामरान,डालूसर,जालपसर, (डूंगरगढ़ के पास) तोलियासर (सरदारशहर के पास) सरेह भाटियान, खीलनिया, सियाना आदि गांवो की जागीरें थी |

3) घनराजोत :-

खेमल (खींया) के पुत्र घनराज के वंशज | इनके मुख्य ठिकाना बीठानोक तीस गांवों से था | मारवाड़ में मिठड़िया,चामू व  ककोला जो किशनावतों के थे | घनराजोतों को दिये गये | बीकानेर राज्य में खीनासर व जांगलू (60 गांव) इनके ठिकाने थे |

105.) बरसिंघ भाटी :-

राव शेखा के पुत्र बरसिंह हुए | इन्हीं बरसिंह के वंशज बरसिंह भाटी कहलाते हैं | बीकानेर राज्य में मोटासर,कालास,लाखासर,राजासर,लूणखो,भानीपुरा,मंडला,केला,गोरीसर,रघुनाथपुरा,करणीसर,अभारण,चीला,महादेववाली,(जैसलमेर राज्य) बीकनपुर (जैसलमेर) गिरिराजसर (जैसलमेर) सीर्ड (जैसलमेर), किशनपुर,अजीत मामा,राहिड़ावाली,बेरा,बेरिया,सादोलाई,सतासर,ककराला,वराला,आदि इनके ठिकाने थे |

बाघसिंघ भाटियों की निम्न खांपें हैं |

1) काला :-

बकरसिंह के पुत्र काला के वंशज |

2) सातल :-

बरसिंह के पुत्र सातल के वंशज | जोधपुर के राव मालदेव ने मेवाड़ के पास रायन गांव इनको जागीर में दिया था |

3) दुर्जनशालोत :-

बरसिंह के वंशज दुर्जनशाल के वंशज | सिरड़,कोलासर,पाबूसर,टावरीवाला,खार,गोगलीवाला,चारणताला,पन्ना,भरमलसर,बीकानी,खैरूवाला,गुढ़ा,बावड़ी,भोजा की बाय,गिराधी,गिराजसर,बीकासर,बोगड़सर आदि इनके ठिकाने थे |

106.) पूगलिया भाटी :-

पूगल के राव अभयसिंह के पुत्र अनूपसिंह को बीकानेर राज्य के सतासर,खीमेरा और ककराला गवां मिले | अनूपसिंह के वंशज पूगल के निकास कारण पूगलिया भाटी कहलाये इनके अतिरिक्त बीकानेर राज्य में मोतीगढ़,सरदारपुरा,फूलसर,डूंगरसिंहपुरा,हांसियाबास,मीरगढ़,आडेरा आदि ठिकाने थे |

107.) बीदा भाटी :-

पूगल के राव शेखा के पुत्र हरा के पुत्र बीदा के वंशज | पहले देरावर जागीर में था |

108.) हमीर भाटी :-

राव हरा के पुत्र हमीर के वंशज भी हमीर भाटी कहे जाते रहे है | पहले बीजनोरा की जागीर थी |

इस प्रकार यादवों में भाटी वंश का बहुत विस्तार हुआ | प्रायः भाटी राजस्थान में निवास करते हैं |

2. शूरसैन यादव | Shursena Yadav:-

मथुरा के आस पास शूरसैन क्षेत्र के यादव शूरसैन यादव कहलाये |

1) बागड़िया :-

शूरसैन खेत्र के यादव इच्छपाल (दशवीं शदी) के पुत्र विनयपाल के वंशज बृज के बागड़ खेत्र में रहने के कारण बागड़िया यादव कहलाये | राजस्थान में लाडनू खेत्र के बागड़िया यादव ही थे जिन्होंने डाहलियों से राज्य प्राप्त किया था | बागड़िया यादवों की कई शाखाऐं हुई उनमें अतेवर यादव (अतेवर स्थान के कारण ),मैनपुरी के यादव (मैनपुरी स्थान के कारण),माहोर यादव (माहोर स्थान के कारण) आदि है (क्षत्रिय जाति सूची पृ.99 )

2) बनाफर यादव :-

शूरसैन खेत्र के यादव इच्छपाल के विनयपाल (बीरमपाल) के वंशज बनाफर यादव कहलाये |

3) छोकर यादव :-

शूरसैन क्षेत्र के इच्छपाल के बाद ब्रह्मपाल व जयेन्द्रपाल हुए | जयेन्द्रपाल के दो विजयपाल व उदयपाल हुए | इसी उदयपाल के वंशज छोकर हुए | छोकर के वंशज होकर यादव कहलाये |

4) जादौन यादव :-

शूरसैन क्षेत्र से ही इधर उधर फैले है | जादों मूलतः यादव ही है | बृजभाषा में य का उच्चारण होने से यादव और फिर जादौंन हो गया | जादौंन यू.पी. के अलीगढ़,मथुरा,बलुन्दशहर आदि जिलों में है | (डम्बरसिंह जादौन विजय (अलीगढ़) यू.पी. के सौजन्य से )

5) खागर यादव :-

संभवतः जूनागढ़ के किसी राव खंगार के वंशज होने के कारण खंगार खागर कहलाये गढ़ कुण्डार (म.प्र.) पर इनका राज्य था | ये यादव झांसी,हम्मीरपुर तथा जालौन जिलों में है | इनके अतिरिक्त बरदाई,तिमन,जरिया,ममनपुरिया,भड़ोसिया,बिदूमन,बद्दा,सोहा,जैसवार,नोगजंग,निलखा,डिडवान आदि भी इनकी खापें है | इनमें जैसवार यादव,मैनपुरी,एटा,मिर्जापुर,मथुरा आदि जिलों में है | (डम्बरसिंह जादौंन विजन (अलीगढ़) यूं.पी. के सौजन्य

 खांगर

जूनागढ़ गुजरात के प्रसिद्ध खंगार द्वितीय के वंशज खंगार या खांगर कहलाये | उनके पूर्वज 1200 ई. के आस-पास गुजरात से चलकर आये | वे बुंदेलखण्ड क्षेत्र में बस गए | इनके वंश के क्षत्रिय जालौव,हमीरपुर,बांद्रा आदि जनपदों से बनाये जाते है |

पिछोर (M.P.) के सौजन्य से

3. तवनपाल यादव | Tavanpal Yadav :-

मथुरा क्षेत्र के यादव इच्छपाल के पुत्र ब्रह्मपाल के बाद क्रमशः जयेन्द्रपाल,विजयपाल व तवनपाल हुए | तवनपाल का राज्य अलवर,भरतपुर और करोली क्षेत्र में फैला हुआ था | इसी तवनपाल के वंशज
तवनपाल यादव कहलाये |

तवनपाल यादवों के निम्न खांपें है –

1.) पोरच यादव :-

करौली शासक तवनपाल के पुत्र सोमदेव के वंशज पोरच के वंशज पोरच यादव कहलाये | ,मेड़,दरियापुर आदि इनके ठिकाने थे |

2.) सोनपाल यादव :-

तवनपाल के वंशज सोनपाल के वंशज |

3.) गोहेच यादव :-

करौली शासक धर्मपाल के पुत्र बदनपाल के वंशज |

4.) मुक्तावत यादव :-

करौली शासक मुकटराव के वंशज मुक्तावत यादव कहलाये | करौली राज्य में सरमथपुरा झिरी,सबलगढ़ आदि इनके ठिकाने थे |

5.) पंचपीर यादव :-

करौली के शासक गोपालदास के पुत्र द्वारकादास के एक पुत्र मागधराव थे | वे राज्य में उपद्रव करने लगे थे अतः लोग उनकी शिकायत करते थे तब करौली शासक कहते थे कि वह पंचपीरों के चक्कर में पड़ा हुआ है | अतः मागधराज के वंशज पंचपीर यादव कहलाये |

6.) मुकंद यादव :-

करौली शासक मुकन्दपाल थे | करौली से फटने वाले इनके वंशज मुकंद यादव कहलाये |

7.) बहादुर यादव :-

करौली शासक मुकन्द के भाई तरसम बहादुर की सन्तान बहादुर यादव कहलाई | बहादुरपुर और विजयपुर इनके ठिकाने थे |

8.) सोनगरिया यादव :-

करौली शासक कंवरपाल के पुत्र सोनपाल के वंशज |

9.) डडूनिया यादव :-

करौली शासक कंवरपाल के पुत्र कारूपाल के वंशज |

10.) आबागढ़ के यादव :-

करौली शासक कंवरपाल के वंशज आनन्दपाल के वंशज आबागढ़ में रहने के कारण आबागढ़ के यादव कहलाये |

4. सम्मा यादव | Samma Yadav :-

कृष्ण के पुत्र शाम्ब के वंशज पहले शाम्ब और फिर सम्मा कहलाये |

5. चूड़ासमा यादव | Chodasama Yadav :-

शाम्ब (सम्मा) के वंशज चूड़चंद्र के वंशज चूड़ा सम्मा कहलाये | इनका सिंध क्षेत्र पर बहुत समय तक शासन रहा |

6. सरवैया यादव | Sarvaiya Yadav :-

चूड़चंद्र के वंशज रा गारिया ने गिरिनार (जूनागढ़) में अपना शासन स्थापित किया | कहा जाता है कि रा गारिया और उनके वंशज सर (तीर) बहाने (चलाने) में बड़े तेज थे | इस कारण इनके वंशज सरवैया यादव कहलाये | रैजदास व बज भी चूडासमा यादवों की खांपें है |

7. जाड़ेचा यादव | Jadeja Yadav :-

सिन्ध के शासक चूडचन्द्र के वंशज जाम ऊनड़ हुआ | ऊनड़ के बाद तामाइच और उसका वंशज जाम जून (जड्डा) हुआ | इस जाम जड्डा के पुत्र लाखा के वंशज पिता के नाम जड्डा से जाड़ेचा हुए | इन जाड़ेचों ने गुजरात के एक बड़े भू-भाग पर शासन किया | कच्छ भुज,नवानगर (जमानगर),ध्रोल,राजकोट,मोरवी व गौडाल इनकी रियासते थी | इनके अतिरिक्त वीरपुर,कोटडा (संगाणी), कोटडा (नायाणी),मालिया मेगणी,गवरोदड़ पाल,धरड़ा,जालिया (देवाणी),भडुआ,राजपुरा,कोठरिया,शायर,लोधी,बड़ाली,खीरसरा,सीसांग,चाण्डली,बीरबाव,ककसी,आली,मोवा,प्राफा,सातोदड़,बावड़ी,मूली,लाडेरी,सांतलपुर (पालनपुर एजेन्सी) आदि अनेकों जाडेचों के ठिकाने थे | (रासमाला-फार्बस) भाग 2 अनुवाद बोहरा पृ.67 की टिप्पणी) |

1.) रायधण जाड़ेचा | Raidhan Jadeja :-

जाम जड्डा के पुत्र लाखा के वंशज रायधण जाड़ेचा कहलाये | कच्छ क्षेत्र इनकें अधिकार में था | इनमें खंगाराणी,भारानी,तमाचियानी,नौधणी,कारानी आदि खांपें है |

2.) हाला जाड़ेचा | Hala Jadeja :-

रायधन के पुत्र गज्जन और गज्जन के पुत्र हाला हुए | इसी हाला के वंशज हाला जाड़ेचा कहलाये | हाला जाड़ेचों ने जेठवा,बादेल और काठियों को पराजित क्र गुजरात का एक बड़ा भू-भाग छीना | उनका यह क्षेत्र हालार कहलाया | गुजरात में जामनगर,धोल आदि इनकी रियासतें और अनेकों ठिकाने थे |   

3.) होठी जाड़ेचा | Hothi Jadeja :-

रायधन के छोटे पुत्र होठी के राज्य के रूप में 12 गांव मिले थे | इसी होठी के वंशज होठी जाड़ेचा कहलाये | ये गुजरात के कच्छ क्षेत्र में है |

         जाड़ेचों की प्रमुख खांपों के अतिरिक्त अबड़ा,आमर,बराच,भोजदे,बुद्धाहेड़ा,गाहड़,जाडा,जेसर,काबा,कोरह,मोड,पायड़,सायव,ढ़ाक,खंगार आदि खांपें भी है | 

यदुवंश की कुलदेवी | Kuldevi of Yadav :


यदुवंश की कुलदेवी योगेश्वरी अर्थात योगमाया मानी जाती है, तथापि राजस्थान, उत्तरप्रदेश के यदुवंश कैला देवी(कैला देवी को योगेश्वरी का ही अवतार माना जाता है।) को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। यदि आप भी यदुवंशी हैं और खांप आदि के आधार पर किसी अन्य देवी को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं तो कृपया Comment Box में अपनी खांप के साथ अपनी कुलदेवी के बारे में जरूर बताएं ताकि जिन यदुवंशियों को इस बारे में जानकारी नहीं है उन्हें इसका लाभ मिले। जानकारियों के अधिक से अधिक विस्तार और Collection के लिए कृपया इस post को अधिक से अधिक शेयर करें।  

31 thoughts on “यदु वंश /यादवों का इतिहास, शाखायें व कुलदेवी | History of Yadu Vansh | Yadav Samaj ka Itihas | Khaanp | Kuldevi”

    • महारावल राजपाल के छटे-(6) पल
      पल (हाल पीथला जैसलमेर ) में 5 परिवार निवास है प्राचीन गाँव खाभा(खाभा फ़ोर्ट जैसलमेर) (जिसका प्राचीन नाम पलो का गाँव था आज भी यहा पर पलो की कलदेवी का मंदिर व पलो का तालाब मोज़ुद है कहा जाता है पल यहा के जागीरदार थे आज भी खाभीय(खाभा के पास आज मेघवालो रहते है) पलो के पोतियाँ बंध है 250 परिवार है व डेढ़ा गाव जो खाभा से ठीक पहले आता है वहाँ पलो के पोतियाँ बंध सुथार 200 परिवार आज वर्तमान में है

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    • महारावल राजपाल भाटी के छटे-(6) पुत्र पल ,
      पल भाटी (हाल पीथला जैसलमेर ) में 5 परिवार निवास है प्राचीन गाँव खाभा(खाभा फ़ोर्ट जैसलमेर) (जिसका प्राचीन नाम पलो का गाँव था आज भी यहा पर पलो की कुलदेवी (देयरियाँ माता )का मंदिर व पलो का तालाब मोज़ुद है कहा जाता है पल यहा के जागीरदार थे आज भी खाभीय(खाभा के पास आज मेघवालो रहते है) पलो के पोतियाँ बंध है 250 परिवार है व डेढ़ा गाव जो खाभा से ठीक पहले आता है वहाँ पलो के पोतियाँ बंध सुथार 200 परिवार आज वर्तमान में है

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  1. bhai mera naam hemant yadav gotra Atra hai or mai unnao jila up ka hoon. humare yaha deyaon baba ki puja hoti hai. mujhe nhi pta ki ye kon hai. ye kuldevta hai ya kon pta nhi. apko kuch pta ho to jarur btaye

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  2. Sir aapka bhot dhnywad. Sir me Rajasthan ke sikar jila .thesil neem ka thana .Villega Natha ki nagal .hi mera naam Vijay yadav hi sir plz hamri kul devi or kul devta ke baarey me bata
    de sir hamra ithaas bata saktey hi to plz wo bhee bata de sir

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  3. Vijay Kumar yadav..govter janjadiya village. Natha ki nagal. Thasil neem ka thana .jila sikar .Rajasthan plz mujhey mera itihass or kul devi ke baarey me batney ka kast karey

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  4. Mere purvaj Mul Bharatpur Rajasthan ke Deeg tahshil ke rahne wale he.mul Gotra Atri .sub Gotra Bagdiya ( Brij bagad ke niwasi hone ke Karan). Kul Devi kela Mata Karoli wali par Hinglaj Mata ki Puja karte he.kahte he Kaila Mata Hinglaj Mata ka hi Swaroop he

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  5. हम जादव/जाधव यदुवंशी है और हमारी कुल देवी माता योगेस्वरि देवी है ।
    देवगिरि , विजयगढ , सेउन यह हमारे पूर्वजों के राजवंश थे ।

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  6. घोसी अहीर के वर्गीकरण में पोस्ट लाए जिसमे कुलदेवी कौन है पूरा वर्गीकरण करे

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  7. जादौन या जादों अहीर व राजपूत जाति का गोत्र है। बंजारा जाति के एक समुदाय को भी जादोन नाम से जाना जाता है। एक समय जलेसर व करौली राज्यों पर जादौन राज परिवारों का शासन रहा है। इनका निकास मथुरा के यादव शासक ब्रह्मपाल अहीर से है। अतः ये ऊपर जो भी वंश चले भाटी, जाडेजा,चुडास्मा, सरवैया, रायजादा,जादोन सभी यदुवंशी अहिरों के वंशज हैं जो बाद में राजपुतों में शादी करके यदुवंशी राजपुत बनें।

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    • Abe tum ahir log hamko apna bap banane ke chakkar me kyun ho salo hum kab tum logo me se alag huve hum kshtriya the aur rahenge aur tum gwale ho

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      • Hello bhai sare yadav gwale nhi hote ohk gwal ek khap gotra hai aur bhut se gotra hai jinhone gae bhaish nhi charai jaise Dhahdor ,krishnaut ,majhraut,sadgop apni jankari aur understanding dono badhao.Aur meri kul devi kaila devi hai karauli Rajasthan. Dhahdor gotra ki jinse karauli ke rajvansh bane hai vo hum dhadhor se hi convert hoke rajput bane hai .

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      • औकात में लगा दूंगा झांटू मुगलों की नाजायज औलाद

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      • बेटा जभी तो बोलता ही पूरी पोस्ट पढ़ मैनपुरिन के यादव और यादव गोत्र और भी बताए हैं बागरिया गोत्र और भी गोत्र और chaudshma भी अपने आप को अहीर ही लिखते थे तुमने बाप बदल लिया अब यादवों को फिर बाप बनाना चाहते हो पहले क्यो बदला

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      • और भी बहुत बड़ा यदुवंश है मान ले तू यादवों से ही निकला है यह जड़ा तर वह वंश है जो 14 se 15 satwadi में आए पढ़ ले

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  8. Mera gotra Dhahdor hai jinki kuldevi maa kaila devi hai karauli ,rajasthan aur Dhahdor yaduvanshiyon se hi convert hoke rajput me karauli rajvansh hal raha hai .aur Ab sare Dhahdor UP ,Bihar aur MP me bas gaye hai kyuki humlogo ne prithviraj chauhan ki madad ki thi md. Gori se ladai me aur fir hume waha se migrate karna pada bhut sankhya me par aj bhi kuch gaon abad hai Dhahdor ke vaha abhi bhi

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  9. my name is Triveni Shanker Yadav from sandna sitapur up, gotra-Atri, Vansh-yaduvansh, Kuldevi- Mari mata, bahuinhar devta, Gram devta- Hardev raja.

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  10. भगवान श्रीकृष्ण की कुलदेवी योगमाया थी और मैने यह भी सुना है की कीती असुर के वध के लिए जब श्रीकृष्ण समुद्रापार जाना चाहते थे तो
    व्हा उचकी कुलदेवी हरसिद्धी माता (हर्षद माता कोयला डोंगर,गुजरात जो के वीर विक्रम राजाकी भी कुलदेवी है)
    का अनुष्ठान कीया तब माताजी प्रसन्न होकर समुद्र मे मार्ग बनवा दिया था

    और कहाणी गुजरात के लोककथाओ मे सुनने को मीलती है

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  11. सबसे पहले तो मैं आपको धन्यवाद कहूंगा कि आपने इस लेख में संपूर्ण कृष्ण वंश को विस्तार में समझाया है हे महात्मा मेरा नाम अविनाश यादव है और मैं मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले का निवासी हूं मैं यदुवंशी लिखता हूं और मुझे मेरी जाति का ज्ञान तो नहीं है लेकिन कुछ अनुभवी लोगों से सुना है कि हम जादौन में आते हैं तो कृपया कर हमारी कुलदेवी कौन है हमें जरूर बताएं

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  12. मै dhadhor गोत्र का यादव हु ,,,,मेरा निकास राजस्थान के ,,,dhudad क्षेत्र से है करौली जैसलेरमेल जैसे राजस्थान के इलाको में हमारे पूर्वज यदुवंशी राजा विजयपाल का राज था ,,,,इसी वंश तवनपल हुए जिनकी दो शादी हुई ,,ak बंजारे शुद्र जादौन की थी जिसे पासवान भी कहते है जिसका पुत्र हरपाल था बस यही जादौन बंजारा था जो यादवों में जन्म लिया था बाकी सभी जादौन से ,,,,यादवों का कोई लेना देना nhi ,,, यही हरपाल की वीरता देखकर राजा tavanpal में इसको राज्य दिया था जैसलमेर करौली जो भीख में dador गोत्र के ahiro ने दिया था जिसके बल पर खुद को ,,,,यदुवंश से जोड़ते हो लेकिन तुमलोग जादौन का यादवों से कोई संबंध nhi hai ,,,,,,,जादौन की कुलदेवी अंजना माता है जो रंडी है,,,,,,,dadhor अहिरो की कुलदेवी माता भवानी कैलादेवी योगमाया है ,,,,

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