बीका राठौड़ वंश का इतिहास, परिचय व ठिकाने | Bika Rathore Vansh History in Hindi

Bika Rathore Vansh History in Hindi : बीका जोधपुर के राव जोधा का पुत्र था। जोधा का बड़ा पुत्र नीबा जोधा की हाडी राणी जसमादे के पुत्र थे। वे पिता को विद्यमानता में ही मर गए थे। जसमादे के दो पुत्र सांतल व सुजा थे। बीका सांतल से बड़े थे। पितृ भक्ति के कारण उन्होंने अपने चाचा कांधल के साथ होकर जांगल प्रदेश पर अधिकार कर नया राज्य स्थापित कर लिया था और सांतल को जोधपुर की गद्दी मिलने पर कोई एतराज नहीं किया। इन्हीं बीका के वंशज बीका राठौड़ कहलाते हैं। बीका राठौड़ों की खांपें निम्न प्रकार है-

बीका राठौड़ों की खांपें

1) घड़सिहोत बीका :-

बीका के पुत्र घड़सी के वंशज घड़सिहोत बीका कहलाते हैं। घड़सी के नाम पर घड़सीसर (बीकानेर से पूर्व में) बसा हुआ है। घड़सी के दो पुत्र थे। बड़े पुत्र देवीसिंह को गारबदेसर व छोटे पुत्र डूंगरसिंह को घड़सीसर मिला। यह दोनों एकलड़ी ताजीम वाले ठिकाने थे।

2) राजसिंहोत बीका :-

बीका के पुत्र राजसिंह के वंशज।

3) मेघराजोत बीका :-

बीका के पुत्र मेघराज के वंशज।

4) केलण बीका :-

बीका के पुत्र केलण के वंशज।

5) अमरावत बीका :-

बीका के पुत्र अमरा के पुत्र।

6) बीसावत बीका :-

बीका के पुत्र बीसा के वंशज।

7) रतनसिंहोत बीका :-

लूणकर्ण के पुत्र रतनसिंह के पुत्र रतनसिंहोत बीका कहलाते है। इनका मुख्य ठिकाना महाजन था।

8) प्रतापसिंहोत बीका :-

बीका के पुत्र लूणकर्ण के पुत्र प्रतापसिंह के वंशज प्रतापसिंहोत बीका कहलाते है।

9) नारणोत बीका :-

लूणकर्ण के पुत्र बैरसी के पुत्र नारण के वंशज ‘नारणोत बीका’ कहलाते है। बीकानेर रियासत में मगरासर, मैणसर, तेणसर, तेणदेसर, कातर, बड़ी इनके मुख्य ठिकाने थे। मगरासर दौलड़ी ताजीमवाला ठिकाना था।

१) बलभद्रोत नारणोत :- नारण के पुत्र बलभद्र के वंशज ठि. महदसर।

२) भापपोत :- नारण के पुत्र भोपत के वंशज है ठि. मगरासर।

३) जैमलोत :- नारण के पुत्र जैमल के वंशज है ठि. तेणदेसर, कातर आदि।

10) तेजसिंहोत बीका :-

लूणकर्ण के पुत्र तेजसिंह के वंशज।

11) सूरजमलोत बीका :-

लूणकर्ण के पुत्र सूरजमल के वंशज।

12) करमसिंहोत बीका :-

लूणकर्ण के पुत्र करमजी के वंशज।

13) रामसिंहोत बीका:-

लूणकर्ण के पुत्र रामसिंह के वंशज।

14) नीबावत बीका :-

लूणकर्ण के पुत्र रूपा के पुत्र नीबा के वंशज।

15) भीमराजोत बीका :-

बीकानेर के लूणकर्ण के पुत्र जैतसिंह के दूसरे पुत्र भीमराज के वंशज भीमराजोत कहलाते हैं। जोधपुर के शासक मालदेव राठौड़ ने बीकानेर पर आक्रमण किया। इनमे बीकानेर के राजा जैतसिंह ने वीरगति पाई। मालदेव का बीकानेर पर अधिकार हो गया। जैतसिंह के पुत्र कल्याणदास सिरसा में राजगद्दी पर बैठें। भीमराज शेरशाह के पास गए और शेरशाह की सहायता से मालदेव को बीकानेर से हटाया और अपने भाई कल्याणमल का अधिकार बीकानेर पर करवा दिया। इससे प्रसन्न होकर कल्याणमल ने भीमराज को वि. 1602 में भोमसर की जागीर दी। रायसिंह की अकबर के समय गुजरात पर चढ़ाई होने पर उस युद्ध में भीमराज के पुत्र नारंग ने वीरगति पाई। इनके वंशधर हिम्मतसिंह को गजसिंह ने राजपुरा गांव जागीर में दिया। राजपुरा दोलड़ी ताजीम वाला ठिकाना था। यहीं अमरपुरा, कुशुम्बी, भुवाड़ी आदि भीमराजोत बिकाओं के गांव थे।

16) बाघावत बीका :-

बीकानेर के राजा जैतसी के पुत्र ठाकुरसी के पुत्र बाघसिंह के वंशज बाघावत बीका कहलाते हैं। बाघसिंह को पहले भटनेर की जागीर मिली  पुत्र रघुनाथसिंह को भटनेर के स्थान पर नोहर की जागीर मिली। इसके बाद नोहर की जगह मेघाणा की जागीर तथा ताजीम का सम्मान मिला।

17) माधोदासोत बीका :-

राव जैतसी के पुत्र मानसिंह के पुत्र माधोदास के वंशज।

18) मालदेवोत बीका :-

लूणकर्ण के पुत्र जैतसिंह के पुत्र मालदे के वंशज।

19) श्रृंगोत बीका :-

बीकानेर का राजा जैतसी के कई पुत्रों में एक पुत्र श्रृंग थे। इनके वंशज श्रृंगोत बीका कहलाते हैं।

20) गोपालदासोत बीका :-

राव जैतसिंह के पुत्र राव कल्याणमल बीकानेर के पुत्र गोपालदास के वंशज।

21) पृथ्वीराजोत बीका :-

बीकानेर राजा कल्याणमल के एक पुत्र पृथ्वीराज थे। पृथ्वीराज अकबर के दरबार में रहते थे। वे उस समय के उच्चकोटि के साहित्यकार थे। डिंगल के जबरदस्त विद्वान थे। उन्होंने ‘वेलिक्रसन रुकमणि’ जैसे ग्रंथों का निर्माण किया। कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने निराश होकर अकबर की अधीनता मानने का पत्र लिख दिया था। पृथ्वीराज ने ही अपनी ओजस्वी लेखनी से राणा की निराशा को दूर किया। वे जबरदस्त वीर भी थे। स्वयं अकबर भी इनका सम्मान करता था। काबुल व अहमदनगर की लड़ाइयों में उन्होंने वीरता प्रदर्शित की। इस पृथ्वीराज के वंशज पृथ्वीराजोत बीका कहलाते हैं। इनका मुख्य ठिकाना ददेरवा था। ददेरवा के पास ही मैलाणा, पाबासी, मानपुरा, सेवा, धोलिया आदि 12 गांव पृथ्वीराजोतों के है। ददेरवा दोलड़ी ताजीम का ठिकाना था।

22) किशनसिंहोत बीका :-

राव कल्याणमल के पुत्र किशनसिंह थे। इनके वंशज किशनसिंहोत बीका कहलाते है। किशनसिंहोतों के सांखू (दोलड़ी ताजीम) नीमा (दौलड़ी ताजीम) रावतसर, कूंजाला (सादी ताजीम) के ठिकाने थे।

23) अमरसिंहोत बीका :-

बीकानेर राव कल्याणमल के छोटे पुत्र अमरसिंह के वंशज अमरसिंहोत बीका कहलाते है। इनका हरदेसर (दोलड़ी ताजीम) का ठिकाना था।

24) राजवी बीका :-

महाराजा अनूपसिंह बीकानेर के छोटे पुत्र आनन्दसिंह के चार पुत्र अमरसिंह, गजसिंह, तारासिंह व गुदड़सिंह थे। इन चारों पुत्रों के वंशज राजवी कहलाते हैं।

बीका राठौड़ वंश की कुलदेवी :-

मूल राठौड़ वंश होने से इस वंश की कुलदेवी पंखिनी/नागणेचिया माता है। नागणेचिया माता के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए Click करें >

यदि आप बीका राठौड़ वंश से हैं और नागणेचिया माता से इतर किसी देवी को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं तो कृपया Comment Box में बताएं। अथवा इस वंश से जुड़ी कोई जानकारी देना चाहते हैं तो भी आप Comment Box में अपने सुझाव व विचार दे सकते हैं।

13 thoughts on “बीका राठौड़ वंश का इतिहास, परिचय व ठिकाने | Bika Rathore Vansh History in Hindi”

  1. सिरोही में भी बीका राठौड़ है उनका तो कोई जिक्र भी नहीं है हुक्म

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    • Rao sanghi ke chhote bhai Srajan ji the, Sune me aaya hai ki unhi ke vansaj Aur janwar se Sirohi me kahi abad hai .
      Krapya batane ka kast kare evam samprak kare—+
      Rajendra Singh Rathore
      Thikana Shimla
      9571381344

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  2. Kishan Singh hoat Bika, Kishan Singh ji Rao Kalyanmal ji ke putra Nahin the va h to Maharaja

    Rai Singh ke bete the.

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  3. हुकुम किसन सिन्होत जी कल्याणमल जि के पुत्र नहीं पड्पौत्र थे

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  4. Hkm राव जेतसीजी के पुत्र मानसिंह जी जिनसे मानसिहोत बीका की खोप निकली jiska aapne jikr nhi kiya hua

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  5. हुक्म सिरोही में भी बिका राठौड़ गुलाबगंज, धनियावाडा,5 गांव।

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  6. नारनोत्त बीका के बीकानेर में 27 गांव है सा
    बलवीर सिंह नारनोत्त् राठौड़
    गांव – dhumpaliya

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  7. Hkm Bika rathore kumaon( कुमाऊ ) me bhi hai Lekin khi jikar nhi hai iska bare me please update dijiye.

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