बुन्देला राजवंश का इतिहास व शाखायें | Bundela Rajvansh History in Hindi

Bundela Rajvansh History in Hindi : राजपूत वंशों में वीर बूंदेलों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। बूंदेलों की उत्पत्ति के सन्दर्भ में मिलता है कि काशी के शासक माणिकराय गहड़वाल की एक रानी से चार पुत्र थे तथा दूसरी रानी से राजा के पांचवा पुत्र हुआ। इस कारण इस पुत्र का नाम पंचमसिंह था। पंचनसिंह को राज्य न मिलने के कारण वह मध्यप्रदेश में विंध्यावासिनी देवी के चरणों में आया और अपना मस्तक चढ़ाने लगा।  जब वह अपना सर काटने ही वाला था। देवी ने बिच में ही रोक लिया परन्तु खडग प्रहार से कुछ रक्त की बूँदें गिर पड़ी। रक्त बूँद गिरने के कारण पंचमसिंह बुन्देला कहलाया और इसके वंशज बुंदेले कहलाये। (रण बाकुरा का जून-जुलाई 1987 का अंक- देवीसिंह मण्डावा का बुन्देलखण्ड व  बुन्देला लेख पृ. 17) मध्यप्रदेश के इतिहास में लिखा है कि  पंचमसिंह के वंशज विन्ध्येल कहलाये ‘विन्ध्येल’ ही बिगड़ क्र विन्ध्येला-बुन्देला हो गया। (मध्यप्रदेश का इतिहास-पं. प्रयागदत्त शुक्ल पृ. 75 ) नैणसी ने लिखा है कि  बुंदेला सूर्यवंशी है और गहड़वाल गौत्र है। जिनका बुन्देलखण्ड से सम्बन्ध रहा बुन्देला कहलाये। (नैणसी री ख्यात भाग 1 पृ. 127-128) सार रूप में यही कहा जा सकता है कि विंध्यावासिनी देवी का पंचमसिंह भक्त था और इसी देवी स्मृति में इसके वंशज विन्ध्येल, विन्ध्येला, बुंदेला कहलाये।

बुन्देलों की शाखाएं :-

1.) जिगनिया :-

जिगनी स्थान से निकास के कारण जिगनिया बुन्देला हुए।

2.) मोहनिया :-

मोहनी नगर से निकास के कारण।

3.) दतेले :-

दतेले से निकास के कारण नामकरण हुआ।

इनके अतिरिक्त धुन्देल, डोंगरा, नाराटा, विजय, रावत, जेता, जेतवार, जेतपुरिया, सरनिया, कर्मवीर आदि भी इनके शाखाएं हैं। (राजपूत वंशावली पृ. 243 )

  कर्मवीर बुन्देला बलिया, देवरिया, बनारस, गोरखपुर, आजमगढ़ (उ. प्र.) तथा छपरा, पटना, शाहबाद, मुज्जफरपुर (बिहार) जिलों में भी बसते हैं। सरनिया बुन्देला छपरा, मुज्जफरपुर (बिहार) जिलों में बसते हैं। सरनिया बुन्देला छपरा, मुज्जफरपुर आदि जिलों में हैं

बुन्देला वंश की कुलदेवी :-

इस वंश की कुलदेवी अन्नपूर्णा माता है।

यदि आप बुन्देला वंश से हैं और अन्नपूर्णा माता से इतर किसी देवी को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं तो कृपया Comment Box में बताएं। अथवा इस वंश से जुड़ी कोई जानकारी देना चाहते हैं तो भी आप Comment Box में अपने सुझाव व विचार दे सकते हैं।

15 thoughts on “बुन्देला राजवंश का इतिहास व शाखायें | Bundela Rajvansh History in Hindi”

  1. Bhai Gupta Agrawal baranwal Esi Vaishya Jatiya h Jo Ek samay kshartriya The Gupta me Ajj Bhi Gotra Kashyap H Jo Ki Suryavansh ke mukhya 3 Gotro Me se ek H .. or agrawal Or baranwal samaj Ke raja Ikshwaku Vansh Se sambandh Rakhte h ..

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  2. mujhe bundelkhand ki bhasha men char wakya ek chhote se natak ke liye translate karwane hain…koi help kar sakta hai kya plz call 93734546467

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  3. Sir hum bhi bundela hain. District hoshangabad teshil itarsi. Sir hum kuldevi ke roop mein. Vindhyavasini devi ki pooja krte hain. Yaha ishthan sehore jila mein. Parvat vahini vijyasan maa hi maa bhagvati vindhyavasini ji hain

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  4. ISME AAP MAHARAJA CHATRSAL KE SAMAY KE BUNDELKHAND KI SIMAO KE BARE ME BHI JANKARI DE KI US SAMAY BUNDELKHAND KITNA VISHAL THA JISE AAJ PANC ALAG ALAG BHAGO ME BANT DIYA JESE VINDHY, MAHAKOSHL, CHAMBAL, GVALIYAR OR BUNDELKHAND JABKI YE SARA CHETR MILAKAR HI BUNDELKHAND THA JESE BUNDELKHAND KI PHLI RAJDHANI GADKUNDAR USKE BAD DUSRI RAJDHANI ORCHA BUNDELKHAND KI AYODHYA OR MHARAJA CHATRSAL KE SAMAY TISRI RAJDHANI PANNA ISSE VIDIT HOTA HE BUNDELKHAND KITNA VISAL CHETR THA ..

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  5. हमारे यहां कुलदेवी के रूप में मा विंध्यवासिनी देवी की पूजा होती हैं

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