वसन्तगढ़ की क्षेमकरीमाता / खीमेलमाता “Khimel Mata- Basantgarh”

Kshemkari Khimel Mata Basantgarh Sirohi Temple  History in Hindi : आबू के पास वसन्तगढ़ एक प्राचीन स्थान है। इसका अपना विशेष ऐतिहासिक महत्व रहा है । सिरोही और मेवाड़ की सीमा पर स्थित यह कस्बा पर्वतमालाओं से घिरा हुआ है तथा इसके सामरिक महत्व को जानकर राणा कुम्भा ने यहाँ एक सुदृढ़ दुर्ग का निर्माण कराया, जो सम्भवतः उसी के नाम से यह कस्बा वसन्तपुरगढ़ या वसन्तगढ़ कहलाता है ।

यहाँ एक पहाड़ी पर क्षेमकरी (क्षेमार्या) दुर्गमाता का प्राचीन मन्दिर विद्यमान है, जो लोक में खीमेलमाता के नाम से प्रसिद्ध है । देवी दुर्गा का यह शान्त स्वरूप है । वहाँ उपलब्ध एक शिलालेख से पता चलता है कि देवी का यह मन्दिर विक्रम संवत 682 (625 ई.) में सत्यदेव नामक व्यक्ति ने बनवाया ।

यह मन्दिर बना उस समय यह प्रदेश वर्मलात नामक राजा के अधिकार में था और आबू तथा उसके आसपास का प्रदेश उक्त राजा के सामन्त राज्जिल के अधीन था । अनुमानतः वर्मलात राजा चावड़ा वंश का था, जिसकी राजधानी भीनमाल थी ।

क्षेमकरी दुर्गा के इस मन्दिर का सिरोही के देवड़ा शासकों द्वारा जीर्णोंद्धार करवाया गया तथा वर्तमान में वे खीमेलमाता के नाम से बसन्तगढ़ और निकटवर्ती प्रदेश में लोकप्रिय हैं । यह क्षेमार्यामाता सुस्वास्थ्य की प्रदाता मानी जाती हैं । भीनमाल में भी क्षेमकरी दुर्गा का भव्य मन्दिर है । जगत के अम्बिका मन्दिर के विषय में भी कला मर्मज्ञों की यही मान्यता है कि इसके गर्भगृह में प्रतिष्ठापित मुख्य प्रतिमा क्षेमकरी दुर्गा की ही थी । क्षेमंकरी / खीमज माता का एक प्राचीन मंदिर भीनमाल में स्थित है। नागौर जिले के डीडवाना से 33 कि.मी. की दूरी पर कठौती गॉव में भी खीमज माता का एक मंदिर है।

11 thoughts on “वसन्तगढ़ की क्षेमकरीमाता / खीमेलमाता “Khimel Mata- Basantgarh””

  1. जय माँ क्षेमकरी माँ क्षेमकरी का पुराना मंदीर गुजरात राज्य के पाटण मे है जो सोलंकि चालुकय राजाओ कि कूलदेवी है
    ओर गुजरात के पाटण जिल्ले के काठि गांव मे भी भव्य मंदिर है ओर क ई जगह पर है

    Reply
  2. Khimaj Mata ka ek sunder mandir rajasthan ke churu district mein chhapar kasbe mein hai. Yeh bhavya aur sunder mandir Pareek samaj ke yuva Shree Jeetendra ji Pareek ke karkamalon se bana hain. Maza ji ki kripa bahut hai. Jai maa kshem kalyani. Swami Deva Bodhisatva

    Reply

Leave a Reply

This site is protected by wp-copyrightpro.com