bhawani-mata-nagaur

नाहर गोत्र की कुलदेवी श्री भवानी माता नागौर

Nahar Gotra Kuldevi Bhawani Mata Nagaur History in Hindi : श्री भवानी माता का मंदिर नागौर दुर्ग में स्थित है। यह नाहर गोत्र की कुलदेवी है। देवी को कुलदेवी के रूप में पूजने वाले श्रद्धालु नागौर दुर्ग में देवी के मन्दिर में आते हैं। नागौर दुर्ग तथा उसमें स्थित यह मन्दिर पूर्व जोधपुर नरेश की निजी सम्पत्ति है।

bhawani-mata-nagaur
Bhawani Mata Nagaur

एक बाघिनी का है यह मन्दिर 

भवानी माता का यह मंदिर वास्तव में एक बाघिनी का है। यह बाघिनी ही कुलदेवी के रूप में पूजी जाती है। इसके बारे में एक जनश्रुति है कि भवानी माता बाघिनी का विकराल रूप लेकर आई और परमार वंश के राजा देपाल के इकलौते पुत्र को उठाकर ले गई। उस बाघिनी ने अपने स्तनों से दुग्धपान कराकर उस बालक का पालन पोषण किया। जब आचार्य श्री मानदेव सूरी विहार करते हुए देपाल के राज्य में पधारे तो राजा देपाल ने उन्हें अपनी व्यथा सुनाई और निवेदन किया कि “हे भगवन ! हमारे इकलौते पुत्र को बाघिनि उठाकर ले गई है और हम निःसंतान हो गए। अब आप कोई उपचार कर हमारी संतान हो ऐसा आशीर्वाद दीजिये।” आचार्य मानदेव सूरी ने ध्यान कर राजा देपाल से कहा कि तुम्हारा पुत्र जीवित है और उसी बाघिनी का दुग्ध पीकर बड़ा हो रहा है। इस समाचार से राज्य में आनंद की लहर फैल गई।  राजा ने आचार्य से निवेदन किया कि हमें हमारे पुत्र को पुनः प्राप्त करने का मार्ग दिखाएँ। आचार्य मानदेव सूरी ने यह कहा पूर्व दिशा में एक विशाल वटवृक्ष के नीचे बाघिनी तुम्हारे बालक को दुग्ध पिला रही है। तुम अपने बालक को ले आओ। राजा अपने परिवार और अपने मंत्रियों के साथ अपने पुत्र की खोज में निकला। लेकिन जब वे बाघिनी से कुछ दूरी पर थे तब बाघिनी की गर्जना से वे भयभीत हो उठे और आगे नहीं बढ़ सके। लेकिन उन्होंने यह देखा कि उनका बालक उसी बाघिनी के साथ है।

bhawani-mata-temple-nagaur
Bhawani Mata Temple Nagaur

राजा देपाल वहाँ से लौटकर पुनः आचार्य की शरण में पहुंचे। और निवेदन किया कि वे बाघिनी के विकराल रूप को सहन नहीं कर सके और भयभीत होकर आ गये हैं। तब आचार्य ने कहा कि तुम वापस उसी स्थान पर जाओ और वहाँ तेज आवाज में बाघिनी को संबोधित कर कहो कि “हम आचार्य मानदेव सूरी के श्रावक हैं, आचार्य ने आपसे निवेदन किया है कि आप हमारे बालक को लौटा दो” बाघिनी ने जैसे ही यह वचन सुने वो बालक को छोड़ कर जंगल में चली गई। राजा अपने पुत्र को लेकर आ गया। बाघिनी का दुग्धपान करने के कारण राजा देपाल के पुत्र की संतान नाहर कहलाई। इस प्रकार नाहर गोत्र अस्तित्व में आया। और बाघिनी के रूप में भवानी माता इस गोत्र की कुलदेवी बनी।

यह भी पढ़ें – औरंगजेब ने भी डरकर अखण्ड ज्योत जलाई माता के इस दरबार में >>Click here 

नोट:-   यदि आप नागौर की भवानी माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं तो कृपया  Comment Box में अपना समाज व गोत्र लिखे।  

20 thoughts on “नाहर गोत्र की कुलदेवी श्री भवानी माता नागौर”

    • जी हम khargone MP se है nahar hum भी नागोर की माता की पूजा अर्चना करते हैं। मेरा एक सवाल है Kya Ghar की बेटियों को माता के दर्शन करवाना चाहिए or जो भोग नवमी का रहता है वो घर की बेटियों को देना चाहिए।

      Reply
  1. यह जानकारी इकट्ठा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

    Reply
  2. Comment *sir poonia gotra bhot purana h or ham jadula mata bayaji ke chadate h to kya hamari kul devi bayaji h plzz sahi jankari bataye 9214396573

    Reply
  3. हमें आपके वेब्सायट द्वारा यह पता चला इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद और मैं भी नाहर ओसवाल हूँ। नए मंदिर की प्रथिश्ता कब होगी ?

    Reply
  4. भवानी माता का मंदिर का कांटेक्ट नंबर शेयर करें नागौर का

    Reply
    • I am also belong to Nagar Gotra family I want to know location were to visit temple for maa bhavani dharshan as I also just know that Nahar family kuldevi is Maa bhavani…Jai maa bhavani .
      Pls reply me if not here then on my no 9458263303 it will my pleasure

      Reply
  5. मै भी नाहर गोत्र का जोधपुर का जाट हू।
    पर हमे आज तक नाहर गोत्र और जाट जाति की जानकारी विस्तार से नही मिली ….किसी को कुछ पता हो तो जरूर बताए…..
    Ashok Nahar Jat नाम की FB पर I’d है ।

    Reply

Leave a Reply

This site is protected by wp-copyrightpro.com