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वैष्णो देवी की यात्रा व दर्शन | Vaishno Devi Yatra story and Darshan

Vaishno Devi Yatra : नमस्ते मित्रों ! उत्तरी भारत की यात्रा के दौरान अमृतसर दर्शन करने के बाद मैं वहां से जम्मू के कटरा में स्थित विश्व प्रसिद्ध वैष्णो देवी के दर्शन करने गया।  इस Post में मैं अपनी इस ” Amritsar to Jammu Bike Ride ” की यात्रा और वैष्णो देवी के दर्शन का वीडियो प्रस्तुत कर रहा हूँ।

वैष्णो देवी की मान्यता | Mata Vaishno Devi Katha / Story in Hindi

माता वैष्णो देवी को लेकर कई कथाएँ प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध प्राचीन मान्यता के अनुसार माता वैष्णो के एक परम भक्त श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर माँ ने उसकी लाज रखी और दुनिया को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया। एक बार ब्राह्मण श्रीधर ने अपने गाँव में माता का भण्डारा रखा और सभी गाँववालों व साधु-संतों को भंडारे में पधारने का निमंत्रण दिया। पहली बार तो गाँववालों को विश्वास ही नहीं हुआ कि निर्धन श्रीधर भण्डारा कर रहा है। श्रीधर ने भैरवनाथ को भी उसके शिष्यों के साथ आमंत्रित किया गया था। भंडारे में भैरवनाथ ने खीर-पूड़ी की जगह मांस-मदिरा का सेवन करने की बात की तब श्रीधर ने इस पर असहमति जताई। अपने भक्त श्रीधर की लाज रखने के लिए माँ वैष्णो देवी कन्या का रूप धारण करके भण्डारे में आई। भोजन को लेकर भैरवनाथ के हठ पर अड़ जाने के कारण कन्यारूपी माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को समझाने की कोशिश की किंतु भैरवनाथ ने उसकी एक ना मानी। जब भैरवनाथ ने उस कन्या को पकड़ना चाहा, तब वह कन्या वहाँ से त्रिकूट पर्वत की ओर भागी और उस कन्यारूपी वैष्णो देवी हनुमान को बुलाकर कहा कि भैरवनाथ के साथ खेलों मैं इस गुफा में नौ माह तक तपस्या करूंगी। इस गुफा के बाहर माता की रक्षा के लिए हनुमानजी ने भैरवनाथ के साथ नौ माह खेला। आज इस पवित्र गुफा को ‘अर्धक्वाँरी’ के नाम से जाना जाता है। अर्धक्वाँरी के पास ही माता की चरण पादुका भी है। यह वह स्थान है, जहाँ माता ने भागते-भागते मुड़कर भैरवनाथ को देखा था। कहते हैं उस वक्त हनुमानजी माँ की रक्षा के लिए माँ वैष्णो देवी के साथ ही थे। हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर एक बाण चलाकर जलधारा को निकाला और उस जल में अपने केश धोए। आज यह पवित्र जलधारा ‘बाणगंगा’ के नाम से जानी जाती है, जिसके पवित्र जल का पान करने या इससे स्नान करने से भक्तों की सारी व्याधियाँ दूर हो जाती हैं। त्रिकुट पर वैष्णो मां ने भैरवनाथ का संहार किया तथा उसके क्षमा मांगने पर उसे अपने से उंचा स्थान दिया कहा कि जो मनुष्य मेरे दर्शन के पश्चात् तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा उसकी यात्रा पूरी नहीं होगी। अत: श्रदालु आज भी भैरवनाथ के दर्शनार्थ अवश्य जाते हैं।

Vaishno Devi Yatra

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कैसे पहुंचे | How to reach Vaishno Devi Temple, Katra

वैष्णो देवी धाम की यात्रा का पहला पड़ाव जम्मू होता है। जम्मू तक आप बस, टैक्सी, ट्रेन या फिर हवाई जहाज से पहुँच सकते हैं। जम्मू ब्राड गेज लाइन द्वारा जुड़ा है। गर्मियों में वैष्णो देवी जाने वाले यात्रियों की संख्या में अचानक वृद्धि हो जाती है इसलिए रेलवे द्वारा प्रतिवर्ष यात्रियों की सुविधा के लिए दिल्ली से जम्मू के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जाती हैं। इसके बाद जम्मू से कटरा पहुंचा जाता है। वैष्णो देवी के भवन तक की यात्रा की शुरुआत कटरा से होती है, जो कि जम्मू जिले का एक गाँव है। जम्मू से कटरा की दूरी लगभग 50 किमी है। जम्मू से बस या टैक्सी द्वारा कटरा पहुँचा जा सकता है। जम्मू रेलवे स्टेशन से कटरा के लिए बस सेवा भी उपलब्ध है।

माँ वैष्णो देवी के भवन की चढ़ाई

यात्रा के लिए आवश्यक है यह पर्ची | Vaishno Devi Yatra Parchi :

माँ वैष्णो देवी के दर्शन के लिए रातभर यात्रियों की चढ़ाई का सिलसिला चलता रहता है। माँ के भवन के लिए यानी त्रिकूट पर्वत पर चढ़ाई के लिये कटरा के बस स्टैण्ड पर माँ के दर्शन के लिए नि:शुल्क ‘यात्रा पर्ची’ मिलती है, उसे लेना ना भूलें अन्यथा आपको बाण गंगा चेक पोस्ट से वापस कटरा बस स्टैंड पर्ची लेने आना होगा। यह पर्ची लेने के बाद ही आप कटरा से माँ वैष्णो के दरबार तक की चढ़ाई की शुरुआत कर सकते हैं। यह पर्ची लेने के बाद आपको चढ़ाई के पहले ‘बाण गंगा’ चैक पॉइंट पर एंट्री करानी होती है और वहाँ सामान की चैकिंग कराने के बाद आप चढ़ाई प्रारंभ कर सकते हैं। यदि आप यात्रा पर्ची लेने के 6 घंटे तक चैक पोस्ट पर इंट्री नहीं कराते हैं तो आपकी यात्रा पर्ची रद्द हो जाती है। इसलिए यात्रा प्रारम्भ करते समय ही पर्ची लें।

भारी सामान की परेशानी ?

अगर आपके साथ सामान से भरे भारी बैग्स आदि हैं तो कटरा से भवन तक की चढ़ाई के अनेक स्थानों पर ‘क्लॉक रूम’ की सुविधा उपलब्ध है। इनमें आप तय शुल्क देकर अपना सामान रखकर अपनी चढ़ाई को आसान बना सकते हैं।

विश्राम और नाश्ता-पानी :

माँ के भवन की यह 12 किलोमीटर की यात्रा लम्बी और काफी थका देने वाली होती है। लेकिन इस पूरी यात्रा में स्थान-स्थान पर जलपान व भोजन की व्यवस्था है। इस कठिन चढ़ाई में आप कहीं भी थोड़ा आराम कर चाय नाश्ता कर फिर से उसी जोश से अपनी यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। अगर ज्यादा थक गए हैं तो बीच- बीच में सोने के लिए शालाएं भी हैं।

ऐसे बनायें यात्रा को आसान :

यात्रा के पहले पड़ाव ‘बाणगंगा’ से भवन तक की यात्रा के लिए घोड़े, पिट्ठू, पालकी आदि किराये पर ले सकते हैं। या कम समय में माँ के दर्शन के इच्छुक यात्री हेलिकॉप्टर सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं। लगभग 700 से 1000 रुपए खर्च कर दर्शनार्थी कटरा से ‘साँझीछत’ (भैरवनाथ मंदिर से कुछ किमी की दूरी पर) तक हेलिकॉप्टर से पहुँच सकते हैं। आजकल अर्धक्वाँरी से भवन तक की चढ़ाई के लिए बैटरी कार भी शुरू की गई है, जिसमें लगभग 4 से 5 यात्री एक साथ बैठ सकते हैं।

छोटे बच्चों को चढ़ाई पर उठाने के लिए आप किराए पर स्थानीय लोगों को बुक कर सकते हैं, जो निर्धारित शुल्क पर आपके बच्चों को पीठ पर बैठाकर चढ़ाई करते हैं। एक व्यक्ति के लिए कटरा से भवन (माँ वैष्णो देवी की पवित्र गुफा) तक की चढ़ाई का पालकी, पिट्ठू या घोड़े का किराया 250 से 1000 रुपए तक होता है।

कुछ जरुरी बातें :

  • माँ के दर्शन के लिए वैसे तो वर्षभर श्रद्धालु जाते हैं परंतु यहाँ जाने का बेहतर मौसम गर्मी है।
  • सर्दियों में भवन का न्यूनतम तापमान -3 से -4 डिग्री तक चला जाता है और इस मौसम से चट्टानों के खिसकने का खतरा भी रहता है। अत: इस मौसम में यात्रा करने से बचें।
  • भवन ऊँचाई पर स्थित होने से यहाँ तक की चढ़ाई में आपको उलटी व जी मचलाने संबंधी परेशानियाँ हो सकती हैं, जिनसे बचने के लिए अपने साथ आवश्यक दवाइयाँ जरूर रखें।
  • ब्लड प्रेशर के मरीज चढ़ाई के लिए सीढि़यों का उपयोग ‍न करें।
  • चढ़ाई के वक्त जहाँ तक हो सके, कम से कम सामान अपने साथ ले जाएँ ताकि चढ़ाई में आपको कोई परेशानी न हो।
  • ट्रेकिंग शूज चढ़ाई में आपके लिए बहुत आरामदायक होंगे।
  • पूरे रस्ते माँ के जयकारे लगाते चलिए। माँ का जयकारा आपके रास्ते की सारी मुश्किलें हल कर देगा।

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