तंवर राजवंश की कुलदेवी व कुछ विशेष जानकारियां |Tanwar Rajput Vansh Kuldevi | Yogmaya Temple Delhi |Chilay Mata

तंवरों की कुलदेवी ”योगमाया” या चिलाय माता

तंवर या तोमर राजवंश का भारत के इतिहास ही नहीं बल्कि संस्कृति में भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। इस राजवंश ने सैकड़ों वर्षों तक दिल्ली पर एकछत्र शासन किया है। तोमर राजवंश की उत्पत्ति चंद्रवंशी पाण्डवों के वंश से हुई है। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने वर्तमान दिल्ली के पास हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ को अपनी राजधानी बनाकर शासन किया और अपनी कुलदेवी योगमाया को भगवान् श्रीकृष्ण के सहयोग से राजधानी में स्थापित करवाया जो आज भी विराजमान है।  इन्हीं पांडवों की 66 पीढ़ियों ने हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ पर शासन किया। अर्जुन के वंशज आगे चलकर अर्जुनायन कहलाये। और इसी अर्जुनायन कुल से सातवीं शताब्दी में तोमर वंश चला। तोमर को अपभ्रंश रूप में तंवर कहा जाता है।

कुलदेवी योगेश्वरी या चिलाय माता के मंदिर 

मेहरौली की देवी योगमाया  | Yogmaya Temple Mehrauli Delhi

दिल्ली के मेहरौली में स्थित पांडवों द्वारा स्थापित देवी योगेश्वरी के इस मंदिर का जीर्णोद्धार दिल्ली के तंवर शासक अनंगपाल प्रथम ने करवाया था। देवी योगमाया को योगेश्वरी भी कहा जाता है। योगमाया का मंदिर स्थित होने के कारण यह क्षेत्र योगिनीपुर कहलाता है। तंवरों की राजधानी भी योगिनीपुर के नाम से ही प्रसिद्ध थी।

Yogmaya Devi Darshan, Mehrauli

यही योगमाया या योगेश्वरी तोमर वंश की कुलदेवी है। योगमाया का वाहन चील होने के कारण इन्हें चील, चिलक या चिलाय माता भी कहा जाता है।  तंवर शासक जहाँ जहाँ बसे वहां उन्होंने अपनी कुलदेवी चिलाय माता के मंदिर बनवाये।

गुरुग्राम

तंवरों की एक शाखा ने जयपुर के पास पाटण में राजवंश की स्थापना की। इन्हीं तंवरों ने गुरुग्राम में अपनी कुलदेवी का मंदिर बनवाया जो अब शीतला माता मंदिर  नाम से प्रसिद्ध है।

महेंद्रगढ़ – हरियाणा 

Chilay Mata Darshan

चिलाय माता का एक प्राचीन मंदिर हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के गाँव खुडाणा की पहाड़ी पर स्थित है। पाटण के शासक दोहथाजी के पुत्र जटमलजी ने वि. सं. 1200 में खुडाणा को अपनी राजधानी बनाया और इस मंदिर का निर्माण कराया। जटमलजी के वंशज जाटू तंवर कहलाते हैं। अब वहां उसी पहाड़ी की तलहटी पर नए मंदिर का निर्माण हो गया है।

कोटपूतली की सरूण्ड माता | Sarund Mata Kotputli

Sarund Mata / Chilay Mata, Kotputli

राजस्थान में तोंरावाटी (तंवरावाटी) के नाम से स्थापित तंवर राज्य के तंवर कुलदेवी के रूप में सरूण्ड माता को पूजते हैं। तोंरावाटी – पाटण के शासक राव भोपाल ने वि. सं. 1332 में गाँव सरूण्ड की पहाड़ी पर अपनी कुलदेवी देवी योगमाया का मंदिर बनवाया जो गाँव के नाम से सरूण्ड माता के नाम से जानी जाती है। यह मंदिर कोटपूतली के पास स्थित है।

यह मंदिर अरावली श्रंखला की पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर में माता की 8 भुजावाला आदमकद स्वरुप प्रतिमा स्थित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए 282 सीढियाँ है। इनके मध्य में माता की पवन चरण के निशान हैं! यहाँ 52 भैरव व 64 योग्नियां है ! सरुंड देवी की पहाड़ी से सोता नदी बहती है जिसके पास एशिया प्रसिद्ध बावड़ी है जो बिना सीमेन्ट, चूने आदि के बनी हुई है। इसे द्वापर युग में पाण्डवांे द्वारा 2500 चट्टानों से बनाई गई माना जाता है।

जंझेऊ – बीकानेर | Chilay Mata Temple Jhanjheu Bikaner

बीकानेर में तंवरों के ठिकाने जंझेऊ में कुछ समय पहले ही कुलदेवी चिलाय माता का एक भव्य मन्दिर का निर्माण किया गया है, जो दर्शनीय है। 

ऐसाहगढ़ – ग्वालियर

दिल्ली के अंतिम तंवर शासक तेजपाल (1192 ई.) की मृत्यु के बाद तंवरों ने ग्वालियर के पास ऐसाहगढ़ में अपना राज्य स्थापित किया। यहाँ भी तोमरों ने अपनी कुलदेवी का मंदिर स्थापित किया जो आज भी भग्न अवस्था में है। इस क्षेत्र के तंवर यहीं अपनी कुलदेवी की आराधना करने जाते हैं 

इस प्रकार तोमरों ने अपनी कुलदेवी योगमाया के मन्दिर अपने राज्यों के अनुसार विभिन्न स्थानों पर बनवाये। और कुलदेवी योगमाया ही योगेश्वरी, जोगमाया, चिलाय माता, सरूण्ड माता आदि के नाम से जानी गई। 

अब हम जानते हैं तंवर वंश के बारे में कुछ खास बातें –

  • दिल्ली का लालकोट दुर्ग और क़ुतुब मीनार यानी कीर्ति स्तम्भ तंवर राजवंश की देन है। 
  • राजस्थान में रामदेवरा के तंवर शासक रामदेवजी लोकदेवता के रूप में विख्यात हैं। राजस्थान और हरियाणा में इनकी बहुत लोकमान्यता है। इन्हें हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी पूजते हैं। मुसलमानों में इन्हें पीर बाबा कहा जाता है। 

तंवर वंश के गोत्र व प्रतीक 

1.वंशचन्द्रवंश 
2.कुलदेवीयोगेश्वरी, चिलाय माता 
3.शाखामधुनेक, वाजसनेयि 
4.गौत्रव्याघ्र (अत्रि)
5.उपाधिजावला नरेश 
6.प्रवरगार्ग्य, कौस्तुभ 
7.शिक्षादाहिनी 
8.भैरूगौरा 
9.शस्त्रखड्ग 
10.ध्वज-निशानकपिध्वज केशरिया  
11.पुरोहित भिवाल  
12.बारहठ आपत केदारवंशी  
13.ढोली रोहतान जाति का  
14.स्थान पाटा मानस सरोवर  
15.कुल वृक्ष गुल्लर वृक्ष 
16.प्रणाम जय श्री गोपालजी  
17.निशान कपि, चील, चन्द्रमा  
18.ढोल भंवर  
19.नगारे रणजीत / जय, विजय, अजय 
20.घोड़ा श्वेत (सावकरणा) 
21.निकास हस्तिनापुर 
22.प्रमुख गद्दी इन्द्रप्रस्थ, दिल्ली  
23.निशान (रंग) हरा  
24.नाई काला  
25.चमार भारीवाल  
26.हौदा पिंचरंगी  
27.शंख पिचारक  
28.नदी सरस्वती, तुंगभद्रा  
29.वेद यजुर्वेद 
30.तिलकश्री धारण, वैष्णवी  
31.धुणोगढ़ गिरनाल मेल कोट  
32.हीरा कोहिनूर  
33.धोती पीताम्बर  
34.पूजा अक्षेबर  
35.विरुद जावला नरेश, दिल्लीपति 
36.गुरूसूर्य  
37.देवता शिव 
38.सवारी रथ  

यदि आपके पास इनके अलावा अन्य प्रकार की कोई जानकारी अथवा कुलदेवी के मंदिरों की जानकारी या कोई सुझाव हो तो कृपया कमेंट बॉक्स में बताएं। जय माता दी !!

13 thoughts on “तंवर राजवंश की कुलदेवी व कुछ विशेष जानकारियां |Tanwar Rajput Vansh Kuldevi | Yogmaya Temple Delhi |Chilay Mata”

    • Nahi tanwar tomar talwar tuwar ye sabhi naam shetra ke hisaab se bole jaate or ye chandravanshi kshatriya kul ki uchtam kshatriya h mtlb rajput hai

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  1. तंवर वंश की कुलदेवी का मंदिर रामदेवरा में भी बना हुआ है

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  2. Maharashtra me tanwar rajputo ke gao khandesh me stapit h yaha ki kuldevat chilai mata he aur ishta devat ke rup me khamai mate ka mandir h jo chilai mata ka swarup h jaise joymaya yogeshwari naam h waisehi Maharashtra me khamai maa naam he

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    • तंवर वंश के राजा ने एक बार हवन करके सांपो लगभग सर्वनाश कर दिया था

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  3. Apne Jo gurugram me chilaye mata ka mandir bataya h jo ab sheetla mata ke name se h iska histry to guru dronacharye ki wife ke sati hone ke karna bhi bataya gaya h

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