
विनोद शर्मा
कृष्णगौड़ ब्राह्मण सेवा समिति, जयपुर
द्वारा प्रेषित आलेख
ब्राह्मणोत्पत्ति दर्पण व जाति भास्कर आदि से प्राप्त अभिलेखों के अनुसार महर्षि गर्ग ऋषि की संतान गर्गवंशी ब्राह्मण कहलाते है,ब्राह्मण वर्ग जो शिक्षण, अध्यापन का कार्य करते थे वे गुरु ब्राह्मण कहलाते है।
गुरु का अर्थ है अध्यापक, शिक्षक,आचार्य,उपाध्याय । गर्ग ऋषि के वंशज मुख्यत: पढ़ाने का काम करते थे । इनके घरो में पाठशालाए चलती थी । ये वर्ण राजा महाराजाओ के एव जन सामान्य के पथ प्रदर्शक रहे है । इसलिए गर्ग ऋषि के वंशज ब्राह्मण ही गुरु जैसे महान शब्द से अलंकृत है।।

इतिहास | History of Garg Vanshi Brahmin Samaj
सृष्टि को रचने वाले भगवान विष्णु जल के ऊपर लक्ष्मी के सहित शेष की शैय्या पर योग निद्रा में मग्न थे । उन पर सोये हुए भगवान की नाभि से बड़ा कमल उत्पन्न हुआ उस कमल के मध्य में से वेद वेदांगों के रचयिता ब्रह्मा उत्पन्न हुए । देवोदिदेव भगवान विष्णु जी ने उनसे बारम्बार जगत की सृष्टि रचने के लिए आग्रह किया ब्रह्मा जी ने सम्पूर्ण जगत को रच कर यज्ञ सिद्धि के लिए पापरहित ब्राह्मण को उत्पन्न किया साथ ही क्षत्रिय ,वैश्य,शुद्र की रचना की।इस प्रकार सृष्टि कर्ता ब्रह्मा के पुत्र अंगिरा ऋषि हुए और अंगिरा के पुत्र अंगिरस जी हुए जो कि बृहस्पति के नाम से प्रसिद्ध हुए बृहस्पति सब देवताओ के पुरोहित थे अब जो ब्रहस्पति जी से आगे वंश चला वो सब गुरु पुरोहित कहलाये और बृहस्पति जी का दूसरा नाम गुरु होने से इनके वंशजो को गुरु की उपाधि प्राप्त हुई।इसी प्रकार बृहस्पति जी के भरद्वाज जी हुए भरद्वाज जी के मन्यु और मन्यु के तेजस्वी पुत्र गर्ग उत्पन्न हुए। श्री गर्ग मुनि जी विद्या और ज्ञान में श्रेष्ठ होने से गर्गाचार्य नाम से विख्यात हुए।गर्गाचार्य जी द्वारा श्री कृष्ण का नामकरण कर यदुवंशियो के कुल गुरु कहा कर उनके कुल के पुरोहित हुए एवम श्री कृष्ण के शासन में राजगुरु पद से सुशोभित हुए। इस प्रकार गर्गाचार्य जी के वंशज गुरु ,गर्ग व कृष्ण गौड़ ब्राह्मण आदि नामों से विख्यात हुए।
गर्गवंशी ब्राह्मणों का क्षेत्र
गर्गवंशी ब्राह्मण ब्राह्मणोत्पत्ति दर्पण के अनुसार फैज़ाबाद,आजमगढ़,सुल्तानपुर,प्रयाग,काशी की तरफ फैले हुए हुए है, इसके साथ मुख्यतः ये राजस्थान व उसके समीपवर्ती राज्य मध्यप्रदेश,गुजरात,हरियाणा,पंजाब में निवास करते है।
गर्गवंशी ब्राह्मणों के क्षेत्र विशेष के अनुसार अन्य उपनाम
उपनाम | बहुसंख्यक क्षेत्र |
गर्गवंशी | फैजाबाद,आजमगढ़,सुल्तानपुर |
गार्ग्य | अवध |
गुरु गर्ग ब्राह्मण | मेवाड़,मालवा,अजमेरा,खेराड,शेखावाटी |
गुरु | जम्मू |
गुरूवाल | मुजफ्फरनगर, सहारनपुर |
गुरुद्वान,गुरुभान | अवध क्षेत्र |
कृष्ण गौड़ | जयपुर,ढूंढाड़,टोंक, हाड़ोती क्षेत्र कोटा,बूंदी,बारां,झालावाड़,सीकर |
गर्गवंशी ब्राह्मण समाज के गोत्र,शासन,कुलदेवियाँ— गुरु वंश से संबंधित होने से ये गायत्री माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते है जिनका भव्य मंदिर पुष्कर में स्थित है,इनका तीर्थ पुष्कर,धाम गया जी,वेद यजुर्वेद व शाखा माध्यंदिनि है,गर्गवंशी ब्राह्मण समाज 84 खापों में विभाजित है,राजपूत शासन के समय गुरु पदवी प्राप्त होने के कारण इनकी कुछ खापों में क्षत्रिय वर्ण की आभास प्रतीत होती है,इनके विभिन्न गौत्र व खांपो के अनुसार कुलदेवियों का वर्णन मिलता है जिन पर क्षेत्रीयता व आस्था का प्रभाव देखने को मिलता है इस समाज का विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित होने से कुलदेवियों पर मत भिन्न-भिन्न हो सकता हैं परंतु किसी की आस्था व विश्वास को महत्व देना सर्वोपरि है, समाज के गौत्र व कुलदेवियाँ निम्न प्रकार है—
Gotra wise Kuldevi list of Garg Vanshi Brahmin Samaj
क्रम संख्या | कुलदेवी | गौत्र | खांप(सामाजिक गौत्र) |
1 | चामुंडा माता | कश्यप | ब्रह्मान्य, गंगोल्या,गंगरावल, काला, पड़िहार |
2 | समदिरी माता | कौशिक | नागर, कनिवाल,पुंवार,कांटीवाल,मनोला |
3 | सहदेवी | भारद्वाज | धरवान्या,धारण्या,खरवड़,खेरदा,रोहितवाल,दाहिमा,जयवाल,पंड्या |
4 | कंकसिया माता | गर्ग | पालीवाल,गोयल,दीक्षित,शुक्ल |
5 | रुचिदेवी | अत्रि | जाजीवाल,अजेयश्रीया,श्रीमाल |
6 | जयंती देवी | पराशर | दाहिमा,गुजरिया,डायवाल |
7 | सती देवी | मुद्गल | गंगरावल,सांड,पंवार |
8 | जीण माता | अंगिरा | सिन्धोल्या,जोशी,आंधावल,फाँदर |
9 | नरवरिया माता | शांडिल्य | सलोरा,सुरवाल्या,सुखवाडिया |
10 | सत्यवती माता | वशिष्ठ | साख,सर्वोदय, सेठिया,कलावटिया |
11 | कृष्णा देवी | गौतम | तुमड़िया,डिंडोळ्या,इन्दोरिया,भुंडवाल,भिन्दोला |
12 | शीतला माता | हरित | चुहान्या,भुत, जोशी |
13 | चरना देवी | जातुकर्णी | भींडर,बहरया |
14 | संच्चिया माता | – | भाकरवाल |
15 | पीपाड़ माता | ब्रह्स्पत्य | पीपाड़ा |
16 | कल्याणी माता | वत्स | नागर, तुमड़िया,नागरवाल |
17 | कंकसिया माता | गार्ग्य | हाड़ा, मोहन,कौशक,टिटवाला |
18 | अम्बा देवी | – | सौलंखि |
19 | पथ्यारी देवी | कविस्थ | मोहन |
Namaskar Vinod ji aapke dwara Di Gai gargvanshi Samaj ki jankari Hamen bahut acchi lagi kripya aap esi Prakar Hamen Samaj aur Samaj ki gotra aur Samaj ke vishiya ke bare mein Jankari pradan Karte Rahe dhanyvad
सर्वप्रथम श्री विनोद जी को प्रणाम
यह जो जानकारी आप ने गूगल पर डाली है क्या इसका कहीं कोई आधार है यह जो कुल देवियां आपने दर्शाई हैं यह आपने किस ग्रंथ से ली है अथवा किस आधार पर आप ने निर्णय किया कि कौन से गोत्र की कुलदेवी कौन सी माता कृपया विस्तार से बताएं अन्यथा आधारहीन जानकारी अधूरी जानकारी ही माना जाएगा ऐसी बहुत सारी ब्राह्मण जानकारियां और भी उपलब्ध परंतु यदि आपके पास इनका कोई आधार है तो कृपया अवश्य शेयर करें।
कृष्ण गौड ब्राह्मण का जिक्र किसी भी ब्राह्मण ग्रंथ में नहीं मिलता है। ना ‘जाती भास्कर’ में और ना ही ‘ब्राह्मण्उत्पत्ति मार्तंड’ में कहीं कृष्ण गौड ब्राह्मण जाति का कहीं उल्लेख मिलता है।
यह कृष्ण गौड ब्राह्मण की उत्पत्ति बीसवीं शताब्दी के अंत में जयपुर एवं ढूंढाड प्रदेश के गरुड़ा ब्राह्मणों का वर्ग जो कि आरक्षण का लाभ नहीं लेना चाहता था उनके द्वारा की गई है।
कालांतर में ब्राह्मणों की कई जातियां जो कि अपने मूल वंश से अलग होने के बाद अपने मूल गोत्र भूल गई, उन्होंने जिस जिस साम्राज्य के अंतर्गत अधीनता स्वीकार कर उस राजा रजवाड़े के गोत्र को ही अपना लिया, इस तरह का वर्णन कई इतिहासकार करते हैं।
गर्ग , गुरु ब्राह्मण क्योंकि बाहर से आए थे , राजस्थान में भी इनकी संख्या बहुत कम थी , उन्होंने भी इसी प्रकार जिस जिस राजा रजवाड़े के प्रदेश में कर्मकांड का कार्य शुरू किया उसी राजे रजवाड़े का गोत्र भी अपना लिया एवं इनकी पहचान भी उसी राजा रजवाड़े से होने लगी इसीलिए आज भी कई गोत्र राजपूतों के भी हमारे समाज में मिलते हैं।
पहली बात तो जाती भास्कर हो या ब्राह्मण मार्तण्ड या उतपत्ति दर्पण या अन्य कोई ब्राह्मण इतिहास से संबंधित पुस्तके सभी मे गर्ग ब्राह्मण गरुडा जाती से अलग अंकित है, इस बात को माननीय राजस्थान सरकार ने भी सहर्ष स्वीकार किया है कि दोनो जातियो का इतिहास अलग है। दूसरी बात कृष्ण गौड़/गर्ग/गुरु ब्राह्मण समाज मुख्य रूप से एक ही समाज है, गरुडा जाती मूल रूप से मारवाड़ प्रदेश की जाती है इतिहास में इसके प्रमाण है, जयपुर ढूंढाड़ या हाड़ौती में इनकी स्थिति साबित ही नही होती।कृष्ण गौड़ ब्राह्मण नाम एक प्रचलित नाम नही बल्कि प्रमाणित है, जरूरत है इतिहास के पन्ने उलटने की।
अमित जी में आपकी बात से पूर्ण रूप से से सहमत हु ।
आपके विचारो का में दिल से अभिवादन करता हु ।
आप कुछ सुझाव दो की जिससे इन गरुडो की अक्कक ठिकाने आ जाएं और ये गुरु ब्राह्मणों को बदनाम करना छोड़ दे ।
पता नही इन के क्या प्राब्लम है जो अपने आप ही पड़े पड़े अध्यक्ष उपाध्यक्ष बन रहे है ।
समाज इनके बाप का है क्या जो ऑटोमैटिक ही अध्यक्ष बन रहे है । अध्यक्ष बन रहे जो तो ठीक पर
गुरु ब्राह्मण नाम का प्रयोग करके क्यू नाटक करते है ये ।
तुझे बड़ा पता है अरे मूर्ख इतिहास नहीं शास्त्र पढ़ वहा मिलेगा ,, रही बात गरूडा यानी कि गर्ग ब्राह्मण पर सवाल करने की तो शर्मा भी कहीं शास्त्रों में नहीं है । कहा से आए तुम
अमित जी साहब, जाति भास्कर और ब्राह्मणोंत्तपति मार्तण्ड में कहीं गर्ग ब्राह्मण शब्द का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। हां… गुरुडा जाति का उल्लेख ब्राह्मण खण्ड में अवश्य मिलता है। आप कभी जयपुर पधारो… इस विषय पर हम साथ बैठकर चर्चा करेंगे।
विनय गुरु: 9414055008
सर जी मै बाडंमेर से हु गर्ग हु आप गुरडा कह रहे हो वो भी गर्ग है ये आरक्षण के लिए गुरडा शब्द उपयोग करते है मै गुरडा कोई जाति नही है सब गर्ग है
गरू और गुरु मे क्या अतर ही
विनय जी आपने कहा कि गरुड़ा ब्राह्मण वर्गों है जबकि गरुड़ा ब्राह्मण होते भी नहीं है दलित होते हैं।
इतिहास में कोई प्रमाण नहीं है कि गरुड़ा जाति ब्राह्मण होती है।
बिना प्रमाण के कोई जानकारी शेयर करना महान पाप होता है।
शास्त्र का प्रमाण शेयर करे। जी
Nath Goswami kon hote h sir
विनोद जी आपने जो कुलदेवी के बारे में जानकारी दी उसमें दयामा गोत्र की कुलदेवी दधिमती माता मंगलोट नागौर में स्थित है। इसके अनुयाइय मोर पचेवर मालपुरा सांगानेर और भादुन पालड़ी नागौर में है। दबलाना mahndwas वालो की कुलदेवी अलग है।
गर्ग ब्राह्मण मध्यप्रदेश…
9669470516 हमसे जुड़ने के लिए whatsaap kre
Dear vlog creater, you are suggested to create a whatsapp group where all brahmna can come along and become able to discuss any topic privately and no outer community person could know our private topics…..so that we can we can have some important info.
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It’s repeting again….the group should have only brahmna community members no other community should allow in the group.
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Thank you.
Suggestion from..Harshit Gaur
शुक्ला का असली गोत्र क्या है औऱ इसकी उतपत्ति कैसे हुई और इनके कुलदेवी कौन है और इसमें कौन कौन से शुक्ल आते है
गर्ग सिधप जाति की कुलदेवी कौन है
Jankari ke liye dhanyawad
गरोडा समुदाय के लोग है वोभी गर्गाचार्य के वंशज है क्या ?
Please Answer…
जी हां… गरुड़ा समाज के लोग भी गर्गाचार्य जी के ही वंशज हैं।
16 वीं शताब्दी एवं सत्रह वीं शताब्दी तक राजस्थान के कई रजवाड़ों ने गरुड़ा समाज के हमारे पूर्वजों को संरक्षण दे रखा था । इसके प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं।
पुष्कर के पास गोविंदगढ़ रियासत में जो आज गरुड़ा समाज के लाता है उनके पूर्वज कभी गुरु ब्राह्मण ही कहलाते थे और उन्हें गोविंदगढ़ के किले की नींव रखने के लिए आमंत्रित किया गया था किले की नींव का कार्य हमारे ही समाज के प्रकांड पंडित ने किया था इसके लिए उन्हें ताम्रपत्र भी दिया गया था आज भी यह ताम्रपत्र उपलब्ध है यह ताम्रपत्र दिल्ली के बादशाह शाहजहां के हुक्म से जारी हुआ था ।
यह इस बात का बहुत बड़ा प्रमाण है कि जिसे आज आप गुरुडा जाति कह रहे हैं, वह एवं गुरु गर्ग ब्राह्मण यह सब एक ही समुदाय के लोग हैं, अपने अपने हित में कालांतर में सभी ने अपने अपने निर्णय लिए एवं यह ब्राह्मण समाज कई भागों में बांट चुका है।
विभाजन का यह दौर आज भी जारी है गरुड़ा गुरु ब्राह्मण जाति के जो लोग आरक्षण का विरोध करते हैं एवं अपने आप को गरुड़ा जाति के साथ नहीं रखना चाहते हैं, उन्होंने आज के इस दौर में अपनी नई पहचान कृष्ण गौड ब्राह्मण के नाम पर बनाई है।
तहे दिल से आपका आभार व्यक्त करता हूं, क्युकी आपने मेरी बहोत बड़ी उलझन को सुल्जा दिया है ।
पांडिया जी
ऐसे ही विश्वास मत किया करो किसी की भी बात पर ।
Please tell me. Why garura’s are in sc
Because you are shudra , not the brahman .
Why are you want to become guru brahman .
Kamaal ki baat h aaj ek Brahman apne aap ko upr batane ke liye dusre brahman ko nicha dikha rhe h , lekin shyd aap ye bhul rhe ho ki ham bhi usi gargacharya ke vanshaj h jinhone shrikrishna ka namkaran Kiya tha , gargacharya ji ka janm Rishi bhardwaj or mata shusheela se hua tha , Rishi bhardwaj ke pita Rishi brihaspati the jo Rishi angiras ke Putra the , aur apko yaad dila du ki ve Rishi angiras unhi Brahma ke putra h jo sbhi brahmno ke janak h , Bina jankari ke un brahmano ko dabana chhodiye jo caste system ke chalte apse alg ho chuke h ,unhe nicha dikhane ki bajaye apne sath le aaiye , dhanyawad
Only For reservation
गरूड़ा और गुरु ब्राह्मण अलग अलग है । इन गरुड़ो के कारण जो वास्तविक गुरु ब्राह्मण है उनकी गरिमा को गहरा आघात पहुंचा है ।
गुरु गर्ग ब्राह्मण की किसी भी धार्मिक पुस्तक में कही भी गरूड़ा शब्द का जिक्र नहीं है तो फिर गरुदा और गुरु ब्राह्मण एक केसे हो गए ।
ये तो संभव ही नहीं है ।
गुरु ब्राह्मण एक उच्च सवर्ण कोटि का ब्राह्मणों का संघ है ।
लेकिन इन गरुडो के पता नही क्या प्राब्लम है जो ये गुरु ब्राह्मण बनने की कोशिश में लगे रहते है और बहुत समय से गुरु ब्राह्मणों को बदनाम करने में लगे है ।
गुरु ब्राह्मणों और गरूड़ो का इतिहास अलग अलग है ।
एक तो इन गरूड़ो को भले ही गुरु गर्गाचार्य जी नाम भी पता ना हो फिर भी क्यू हमारे गुरु ब्राह्मण समाज के पीछे पड़े हुए है ।
एक तो इन लोगो ने गर्ग ब्राह्मणों से इनका सरनेम छीन लिया और अब गुरु पदवी को भी छीनना चाहते है ।
इन गरुड़ा के एक तो कर्म इतने बुरे है की पूछो मत । नीच कर्म करते है फिर भी उच्च बनने की कोशिश में लगे रहते है ।
Govt की तरफ से सरकार ने इनको आरक्षण दे रखा है तो बहुत बढ़िया बात है गरूड़ा को sc का आरक्षण मिल रखा है । लेकिन पता नही इनको गुरु ब्राह्मणों से क्या चाहिए ।
पहली बात तो ये है की गरुडा कोई ब्राह्मण होते ही नही है ये एक जाति है । इनके राजस्व रिकार्ड में इनकी जाति गरूड़ा गारो या गरुड़ अंकित है ।
जबकि जो गुरु ब्राह्मण है उनके राजस्व रिकार्ड में इनकी जाति गर्ग , गुरु , गुरु ब्राह्मण , गर्ग ब्राह्मण ये सिर्फ ब्राह्मण ही अंकित है ।
गुरु ब्राह्मण और गरूड़ा एक नही हो सकते ।
ये बहोत समय से गुरु ब्राह्मणों को बदनाम कर रहे है ।
अगर ये एक है तो गर्ग ब्राह्मणों के किसी भी ग्रंथ या प्राचीनतम इतिहास में गरूड़ा शब्द का जिक्र क्यू नही है ।
गुरु ब्राह्मण वास्तविक ब्राह्मण है जो महर्षि गर्गाचार्य जी की संतान है तथा ये भारतीय संविधान अनुसार जनरल स्वर्ण कैटेगरी में आते है ।
और गरुड़ा सिर्फ एक जाति है जो sc me आती है और एक शुद्र जाति है । एक तरफ तो ये आरक्षण का फायदा उठा लेते है और दूसरी तरफ उच्च कोटि के ब्राह्मण बनने में लगे रहते है ।
बेटा ऐसी मार मारूंगा ना कि तेरी सात पीढ़ी ना भूल पाएगी।
Me real me guru bramhin hu pr mera cast sartifigit sc ka he Jhalawar Rajasthan
Aap ke paas koi sbhut sir plz tell me
Bakwas hai yah, kansh se darkar koi brahman Krishna ka namkaran karne ko taiyar nahi huva tab yah beeda gargacharya ji ne uthaya tha, usi parampara ka nirvahan hamare purvajon ne kiya tha
हम नही मानते ।
गरुडा अलग है तथा गर्ग ब्राह्मण अलग है ।
प्रणाम,मेरा नाम सुनील शुक्ला है,
मे गर्ग वंशीय सत् शुकल हु, कृपया बताएगा की मेरी कुल देवी कौन है? कृपया मेरी कुल देवी की तस्वीर भी साजा कीजिएगा, जिससे उनका दर्शन कर सकु।
Kya aapka contact number mil sakta hai?
Mera 9099377038 hai
मेरा नाम बृजेश चौरसिया है, मैं गुजरात का गर्ग ब्राह्मण हूँ।मेरा सवाल ये हे की क्या गर्ग और श्रीमाली ब्राम्हण एक He ya alag.or garg or shrimali ka mul gotr kya he krupaya meri uljan sujaye
में आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता कि मेरा गोत्र गाजन है और में गर्ग ब्राह्मण समाज से और मुझे google से लगाकर books सारी पढ़ लिया पर मुझे कहीं नहीं मेरा गोत्र मुझे नहीं मिला मुझे मेरा गोत्र गाजन का हिस्ट्री बता दे
भरत जी आप कहा से हो
Anil Sharmaji hamare parivar main shuru se hi hame Gargashya Gotra Bataya gaya hai kya ye Garg or gargahya Gotra eik hi hai ( kirpya Janari Mail per de to acchha hoga)
Me bhi Gajan hu
He bhai gajan gotra sainy he call me 9328258934 more gotra s
पंडित जी इसमें सम्पूर्ण गोत्रो का विवरण नहीं हैं, जैसे मेरी स्वयं की गोत्र “मालगडिया” कृपया अविलंब सम्पूर्ण जानकारी प्रेषित करें।
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मालगड़िया गौत्र की कुल देवी कौन है तथा कहा है उनका स्थान
Yes its garg guru Brahmin
गर्गवंशी शब्द ना उच्चारित करें ना हीं प्रचारित करें । सा आदर महर्षि गर्ग या महामुनि गर्ग
गर्गवंशी नहीं कृपया मेरी टिप्पणी को अन्यथा ना लें । श्री राधैं जयश्रीकृष्ण नमस्कार
कृपया करके गर्गवंशी लिखा हैं वहां आप महामुनि गर्ग या महर्षि गर्ग या गर्गाचार्य संबोधन स्थापित करें महात्मन ।
aapne garg gotra ki puri history batayi is ke liye bhot bhot sukriya.hamare purvaj faija bad se gaye the aazam garh mai pandey ki gaddi per ja ke baith gaye.aur hum log pandey kah laye.lekin hum to shukla the.aaj samjh gaye.
jo bat aap ne batayi puri saty hai.
yogendra pandey shiv ram pur azam garh utter pradesh.
उत्तम जानकारी के लिए बहुत बहुत सधोवाद ।
जय माँ भवानी
जय गर्गाचार्य जी सा
भगवान गर्गाचार्य जी की जानकारी शेयर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
कृष्णा गॉड ब्राह्मण मन गड़ित शब्द जोड़ दिया है।जबकि वास्तव में गर्ग गुरु ब्राह्मण समाज हैं।
कृष्ण गौड़ गुरु गर्ग ब्राह्मण का ही पर्याय हैं , परन्तु ये ज़रूर सत्य है कि आप मनगडित गुरु गर्ग ब्राह्मण बनने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि आपकी जाति भिन्न है। जिसका गुरु गर्ग कृष्ण गौड़ ब्राह्मण से कोई सम्बन्ध नहीं है।
Our’s is Garg Gotra ,Sarname is Joshi of Gujarat then who is our “KULDEVI” ????
कृष्ण गौड़ तो इसलिए कहा क्यों कि वे भगवान श्री कृष्ण के कुलपुरोहित थे
हे मेरे भाइयो में 8 साल से यह जानकारी मे लगा हु की बाबा गर्ग जी की धर्मपत्नी कौन है कृपया कर जानकारी दे जय श्री कृष्ण
Me hu
देवी विजया
जिसके स्वयंभुवमन्यु पुत्र थे ,इनकी पत्नी का नाम विजया था। इसके गर्भ से वृहक्षव,नर,गर्ग,सहोत्रा ये 4 पुत्र उत्पन्न हुए। गर्ग की बनाई गई गर्ग संहिता, ग्रन्थ जगत प्रसिद्ध है। इन्हीं के पुत्र गार्ग्य हुए जो गोत्र के मुख्य ध्याता हुए।
गुरु गर्ग ब्राह्मणों को जनरल से निकालकर obc में क्यू शामिल किया गया ।
एक तरह से धोखे की तरह है ये जनरल वालो को 10 % आरक्षण देकर गुरु ब्राह्मणों को ओबीसी में डाल दिया गया ।
भले तुम हमे गुरडा कहके अलग कह दो लेकिन गुरु ब्राह्मण समाज की गादी पर हमारे महामंडलेश्वर महेश्वानंद जी ही है ओर अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा की सचिव भी हमारे ही हैं ओर जो हमे तुम गुरडा कह रहे हो हमारे 14 मठ है
कहने दो ओर इनको प्रमाण चाहिए तो आए मैदान में सुप्रीम कोर्ट में वहा साबित करते हैं गुरडा शब्द हमे अपमानित करने के लिए किया गया है ,यह बात तब की है जब संविधान बन रहा था और इसमें बंटवारे किए जा रहे थे चार भागों में सबसे पिछड़ी जनजाति , गरीब रही जाती , माध्य रही ओबीसी, ओर धनवान जनरल , ताकि सभी को एक समान रूप से आगे बढ़ा सके तो इसके लिए जिस जिस को जैसी जैसी सुविधा देनी थी वो इन्ही के आधार पर देनी थी , चुकी हमारे गर्ग ब्राह्मण में भी कुछ पिछड़े हुए थे तो कुछ धनवन पिछड़ों हूओ को एससी में ले लिया गया ,। उसी में भड़काऊ बाते चली जिससे समाज में ही नफरत बढ़ी और हम एससी वालो गर्ग ब्राह्मणों को इन्होंने गर्ग ब्राह्मण ना कहकर गरूडा शब्द लगाकर अपमानित किया गया ओर इन्ही के आधार पर जाती में बांट दिया इन हरामियों ने।
Nice
Jai gargrishi
Right bro
Right he brahman bhaio aapsi me bhaichara rakhiye sabhi brhmsamaj pujany he or sabhi ka ek hi sthan he. Jay parshuram bhaio
आप सब से अनुरोध है कि आपस मे लड़ने की बजाय हिन्दू एकता पर जोर दो
नहीं प्रीतम जी अब हिन्दू एकता कभी नहीं होगी लिख के लेलो चाहे भगवान खुद भी आ जाए तो भी नहीं होगी क्योंकि यह हिन्दू समाज के लोग ही अपने में उच्च नीच का जहर इतना घोल चुके है ओर अभी भी घोल रहे हैं जिसका अंजाम एक ही होगा सर्वनाश देख लेना यह मेरी भविष्य वाणी है । हिन्दू एकता कभी नहीं होगी , होगा तो सिर्फ सर्वनाश जिसका पूरा श्रेय इन्ही जातिवादी मानसिकता वाले को जाएगा। एक बार पुनः कह रहा हूं मेरी भविष्वाणि है हिन्दू एक कभी नहीं उससे उल्टा 2030तक दो से 7करोड़ हिन्दू यानी की दलित शूद्र जिन्हें जातिवादी जहर से अपमानित किया जा रहा है वह ज्यादातर बौद्ध धर्म अपना लेंगे । ओर कुछ अन्य धर्म जैसे ईसाई मुस्लिम देख लेना यह झूठ नहीं होगा। I
Sir
I am Garg Brhman and chakda Jati where are our Jathere. If you have knowledge regarding this than please share with me on below given No.
9855512504
Thanks
Rajesh Sharma
गोयल गर्ग ब्राह्मण का गोत्र और
कुलदेवी कौन है
गुरु जी थोड़ा बताना
गोयल गर्ग ब्राह्मण गोत्र की कुलदेवी के बारे मे बताने की कृपा करें
पश्चिमी राजस्थान में गर्ग गुरु गरुड़ा सब एक ही है किसी के मानने नहीं मानने से कोई फर्क नहीं पड़ता सब ब्राह्मणी है गाय के बछड़े को गाय ही बोलेंगे भैंस नहीं बोलेंगे वैसे ही आरक्षण सिर्फ समाज को ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा है इसका मतलब यह नहीं की गरुड़ा गर्ग गुरु ब्राह्मण नहीं है यह सब ब्राह्मण हैं और ब्राह्मण ही रहेंगे इसे नहीं मानने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा इतिहास बोलता है इससे बड़ा कोई नहीं है हमारे पूर्वजों ने और भगवान गर्ग ऋषि के आदर्शों पर चले हैं हमेशा उन्हीं की पूजा की है शुद्ध खानपान के साथ अपना ब्राह्मण धर्म निभाया है और इसका जीता जागता सबूत हमारे महामंडलेश्वर श्री महेश आनंद जी महाराज हैं श्री गर्गाचार्य नमः जय श्री कृष्णा जय श्री
पश्चिमी राजस्थान में गर्ग गुरु गरुड़ा सब एक ही है किसी के मानने नहीं मानने से कोई फर्क नहीं पड़ता सब ब्राह्मण है गाय के बछड़े को गाय ही बोलेंगे भैंस नहीं बोलेंगे वैसे ही आरक्षण सिर्फ समाज को ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा है इसका मतलब यह नहीं की गरुड़ा गर्ग गुरु ब्राह्मण नहीं है यह सब ब्राह्मण हैं और ब्राह्मण ही रहेंगे इसे नहीं मानने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा इतिहास बोलता है इससे बड़ा कोई नहीं है जय श्री गर्गाचार्य नमः जय श्री कृष्णा जय श्री परशुराम
Me gujrat se hu shrimali sarnem h meri gadoda jati guru bramin he h kyu mere dada or nana phle se hi jyotis ka kam karte h hame phle se hi path puja karna he sikhaya gaya h hamare garm me subh 7 baje daly arti puja hoti h mere bhai ke pas mahabhart,gita , ramayn sare hamare grnth ka phle se hi gnan h or phle se hi hame yahi Sikhaya gaya h mere hamare Sare ristedar bhi karm kand ka he kam karte h hamare purvj bhi yahi karte the ti ham alag kahase hue or agar ham guru bramin nai to hamare ghar me etna ganan hamare pas kese hota bramin ka etna dimag to lagao kuch jagah obc,sc me ane ka matalb ye nai ki ham bramin nai jara hamare ghro me aake dekheye hamari life style aapse 100 guna saf or adhatymik h mere nana ka jyotish aaj tak galat nai pada or hamare maharshi shree jejanad swami jinhine amne hart mese goladn ki janoi nikale thi or fruf kiya ki ham guru bramin samaj or agar mana ham guru bramain nai to hamare pass etna path puja or jyotish adhtymik grnth ka ganan hamare pass kese
ज्योतिष सीखने की प्रबल इच्छा से