धाकड़ समाज का परिचय, इतिहास व गौत्र | Dhakad Samaj in Hindi

Dhakad Samaj in Hindi: धाकड़ समाज मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के भारतीय राज्यों में पाए जाने वाले लोगों का एक समुदाय है। “धाकड़” शब्द का अर्थ हिंदी में निडर होता है, और ये काश्तकारी में बड़े कुशल होते हैं। यह समुदाय अपने साहस और बहादुरी के लिए जाना जाता है। वे मुख्य रूप से एक कृषि समुदाय हैं, लेकिन उनमें से कई अन्य व्यवसायों में भी विविध हैं।

इतिहास और उत्पत्ति:

धाकड़ समाज की सटीक उत्पत्ति अच्छी तरह से प्रलेखित नहीं है, इनको कुछ लेखक कृष्ण के तो कुछ जगदेव पंवार के वंशज मानते हैं। लेकिन कुछ विद्वानों के अनुसार, उन्हें राजपूतों से उत्पन्न माना जाता है। समय के साथ, वे विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक कारणों से एक अलग समुदाय बन गए। धाकड़ पुराण में इनको ब्राह्मण जाति से निकलना बतलाया हैं। इनके भाट बतलाते हैं कि अजमेर के शासक बीसलदेव चौहान द्वारा 9,36,000 ब्राह्मणों को भोज दिया गया था तब गलती से सबको माँस खिला दिया। इससे ये लोग अन्य ब्राह्मणों द्वारा जाति बाहर कर दिये गये और ये लोग धाकड़ कहलाने लगे। यह भी किवदंति है कि श्रीकृष्ण भगवान मुकुटधर थे और उनके भाई बलराम हलधर (हल को धारण करने वाले)। उनके सहचर हल धारण कर संगठित हुए और धरखड़ घर (भूमि) और खड़ (जोतने वाले) कहलाये जो अब धाकड़ नाम से प्रसिद्ध हुए तब से ही इनका मुख्य व्यवसाय कृषि ही रहा है। इस जाति में दो वर्ग हैं—नागर और नागर चल्या। आगे चलकर इनके दो और वर्ग बन गये – सोलिया और बीसा। जो धाकड़ और धाकड़या कहलाये।  

समुदाय पारंपरिक रूप से अपने सैन्य कौशल और बहादुरी के लिए जाना जाता है। अतीत में, उन्होंने अपनी भूमि और सम्मान की रक्षा के लिए कई लड़ाइयाँ लड़ी हैं। समुदाय के कई सदस्यों ने भारतीय सेना और अन्य रक्षा बलों में भी काम किया है। आज भी, उनकी बहादुरी के लिए उनका सम्मान किया जाता है और अक्सर अंगरक्षकों और सुरक्षा कर्मियों के रूप में काम पर रखा जाता है।

संस्कृति और सीमा शुल्क:

धाकड़ समाज की एक अनूठी संस्कृति और रीति-रिवाज हैं जो उनके मजबूत मूल्यों और विश्वासों को दर्शाते हैं। उनके पास समुदाय की एक मजबूत भावना है और वे अपने आतिथ्य के लिए जाने जाते हैं। वे सभी प्रमुख हिंदू त्योहारों जैसे दिवाली, होली और दशहरा को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। समुदाय के अपने नियम और कानून हैं जिनका प्रत्येक सदस्य को पालन करना चाहिए। उनके पास एक पंचायत प्रणाली है जो समुदाय के लिए एक शासी निकाय के रूप में कार्य करती है। पंचायत विवादों को सुलझाती है और यह सुनिश्चित करती है कि समुदाय के सदस्य समुदाय के मानदंडों और मूल्यों का पालन करें।

व्यवसाय और आजीविका: 

धाकड़ समाज मुख्य रूप से एक कृषि समुदाय है। वे गेहूँ, चावल और दालें उगाते हैं, और गाय, भैंस और बकरी जैसे पशुओं को भी पालते हैं। हाल के वर्षों में, समुदाय के कई सदस्यों ने व्यापार, परिवहन और निर्माण जैसे अन्य व्यवसायों में भी विविधता लाई है। शिक्षा समुदाय के सदस्यों के बीच भी महत्व प्राप्त कर रही है, और उनमें से कई अब अपने बच्चों को स्कूलों और कॉलेजों में भेज रहे हैं। समुदाय ने युवा पीढ़ी के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की है।

चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं:

धाकड़ समाज, भारत में कई अन्य समुदायों की तरह, गरीबी, शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी कई चुनौतियों का सामना करता है। समुदाय के सदस्यों को कभी-कभी उनकी जाति के कारण भेदभाव और पूर्वाग्रह का भी शिकार होना पड़ता है। हालाँकि, समुदाय ने लचीलापन दिखाया है और इन चुनौतियों पर काबू पाने की दिशा में काम किया है। उन्होंने उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और नौकरी के अवसर पैदा करने के लिए कई स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों की स्थापना की है। उन्होंने युवा पीढ़ी को शिक्षित करने और उनके समग्र विकास को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम किया है।

अंत में, धाकड़ समाज एक समृद्ध संस्कृति और इतिहास वाला एक अनूठा समुदाय है। चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बहुत लचीलापन और दृढ़ संकल्प दिखाया है। सही समर्थन और अवसरों के साथ, उनके पास अपने समुदायों और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है।

गौत्र :-

  1. सोलंकी 
  2. परमार 
  3. यादव 
  4. हारम्बा  
  5. रडवाड़या 
  6. नाइमा 
  7. पीपरणदया 
  8. खाटोल्या 
  9. आलोल्या 
  10. आठोल्या 
  11. फफूदिया 
  12. साकिया
  13. भागोत्रा 
  14. सागीत्रा 
  15. बंबोरिया 
  16. धतेरिया 
  17. मदारिया 
  18. खसाणा 
  19. वीर धाकड़ोल्या 
  20. बाबल्या 
  21. बाबी 
  22. गणाता 
  23. खाटिया 
  24. ठन्ना 

अधिकतर गौत्र गांवों के नाम पर हैं।

धाकड़ समाज की कुलदेवी 

यदि आप इस समाज से हैं तो कृपया Comment box में अपनी कुलदेवी का नाम जरूर लिखें। 

8 thoughts on “धाकड़ समाज का परिचय, इतिहास व गौत्र | Dhakad Samaj in Hindi”

Leave a Reply

This site is protected by wp-copyrightpro.com