आसोप स्थित माहेश्वरी समाज की गायल माता और खत्री/अरोड़ा समाज की छाबला माता का मंदिर | Gayal Mata Temple Asop, Jodhpur

Gayal Mata Temple Asop :  गायल माता का मंदिर जोधपुर जिले के आसोप में है । नागौर तथा जोधपुर से आसोप जाया जा सकता है। इस मंदिर में प्रतिदिन भक्तों का तांता लगा रहता है। जोधपुर व आसपास के क्षेत्रों में गायल माता के प्रति विशेष आस्था रखी जाती है। यहाँ यात्रियों के रहने व … Read more आसोप स्थित माहेश्वरी समाज की गायल माता और खत्री/अरोड़ा समाज की छाबला माता का मंदिर | Gayal Mata Temple Asop, Jodhpur

तोषीणा की खूंखर माता | Maheshwari Samaj Kuldevi: Khunkhar Mata, Toshina

खूंखर माता  का  मन्दिर नागौर जिले के तोषीणा गांव में है।  यह नागौर से 50 कि. मी. की दूरी पर तथा डीडवाना (उपकाशी) तहसील से 28 कि. मी. की दूरी पर स्थित है।  पौराणिक दन्त कथाओं से ज्ञात होता है कि इस स्थान का प्राचीन नाम थल था। सेठ तोषाशाह तोषनीवाल के 1139 ई. में आगमन के … Read more तोषीणा की खूंखर माता | Maheshwari Samaj Kuldevi: Khunkhar Mata, Toshina

Daresiya Mata Temple- Dehru (Nagaur)

नागौर जिले के खींवसर से मुख्य मार्ग से जोरापुर गांव से 6 किमी. दूर डारू/डेहरु  गांव है। डारू गांव से 2 किमी. दूर तालाब के किनारे डोरसिया माता का मन्दिर बना हुआ है। मन्दिर की समिति डोरसिया माताजी ट्रस्ट सेवा समिति गांव डारू, नागौर के नाम से बनी हुई है। मन्दिर के प्रांगण में ठहरने … Read more Daresiya Mata Temple- Dehru (Nagaur)

Chamunda Mata Temple Tarnau (Nagaur)

नागौर जिले के जायल तहसील से 12 किमी. दूर तरनाऊ के पास चामुण्डा माता का मन्दिर है। मन्दिर परिसर में  ठहरने की व्यवस्था है।जोधपुर-नागौर-तरनाऊ :- 181 किमी.बीकानेर-नागौर-तरनाऊ “- 154 किमी.जयपुर-कुचामन सिटी- तरनाऊ :- 197 किमी. तरनाऊ की चामुंडा माता चामुंडा माँ तरनाऊ की पावननगरी पर विराजित एक भव्य मंदिर है !! यह मंदिर बहुत प्राचीन है , … Read more Chamunda Mata Temple Tarnau (Nagaur)

राजस्थान का प्राचीन शक्तिपीठ -ज्वालामाता “Jwala Mata-Jobner”

Jwala Mata Temple Jobner Jaipur History in Hindi : राजस्थान के जयपुर के जोबनेर में स्थित ज्वालामाता का यह मन्दिर राजस्थान का एक प्राचीन एवं प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जिसकी शताब्दियों से लोक में बहुत मान्यता है । यह धाम जयपुर से लगभग 45 कि. मी. पश्चिम में ढ़ूंढ़ाड़ अंचल के प्राचीन कस्बे जोबनेर में अवस्थित है । यह स्थान … Read more राजस्थान का प्राचीन शक्तिपीठ -ज्वालामाता “Jwala Mata-Jobner”

माता सती का शीश – सुन्धामाता “Sundha Mata-Jalore”

Sundha Mata Temple History in Hindi : सुन्धामाता का प्राचीन और प्रसिद्ध मन्दिर जालौर जिले की भीनमाल तहसील में जसवंतपुरा से 12 कि.मी. दर दंतालावास गाँव के समीप लगभग 1220 मीटर की ऊँचाई का एक विशाल पर्वत शिखर, जो की सुन्धा पर्वत कहलाता है, के पर्वतांचल में एक प्राचीन गुफा के भीतर स्थित है । पुराणों … Read more माता सती का शीश – सुन्धामाता “Sundha Mata-Jalore”

चमत्कारी जोगन- जोगणियामाता “Joganiya Mata”

चित्तौड़गढ़ से  लगभग 85 कि.मी.दूर राजस्थान और मध्यप्रेदश राज्यों की सीमा से लगते ऊपरमाल पठार के दक्षिणी छोर पर जोगणियामाता का प्रसिद्ध मन्दिर स्थित है । ज्ञात इतिहास के अनुसार इस मन्दिर का निर्माण आठवीं शताब्दी ई. के लगभग हुआ । लोकमान्यता है कि पहले यहाँ अन्नपूर्णा देवी का मन्दिर था। मन्दिर से 1 कि.मी. पर … Read more चमत्कारी जोगन- जोगणियामाता “Joganiya Mata”

लकवे जैसी बीमारियां ठीक कर देने वाली- वटयक्षिणी देवी (झांतलामाता) “Jhantla Mata / Vatayakshini Mata”

चित्तौड़गढ़ से लगभग 13 कि.मी. दूर कपासन जाने वाले मार्ग पर वटयक्षिणी देवी का मन्दिर है जो लोक में झांतलामाता के नाम से प्रसिद्ध है । जनश्रुति है कि सैकड़ों वर्षों पूर्व यहाँ एक विशाल वट वृक्ष था जिसके नीचे देवी की प्रतिमा थी । कालान्तर में इस स्थान पर विक्रम संवत् 1217 के लगभग एक विशाल … Read more लकवे जैसी बीमारियां ठीक कर देने वाली- वटयक्षिणी देवी (झांतलामाता) “Jhantla Mata / Vatayakshini Mata”

1857 में अंग्रेजों को भयभीत कर देने वाली- आऊवा की सुगालीमाता “Sugali Mata-Auwa”

सुगालीमाता  की एक दुर्लभ मूर्ति मारवाड़ के आऊवा ठिकाने के किले में प्रतिष्ठापित थी । आऊवा की कुलदेवी और आराध्या इस देवी की समूचे मारवाड़ में बहुत मान्यता रही है। काले पत्थर से निर्मित यह देवी प्रतिमा सन् 1857 के स्वाधीनता संग्राम में स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणास्त्रोत रही है। कहा जाता है कि स्वतंत्रता सेनानी … Read more 1857 में अंग्रेजों को भयभीत कर देने वाली- आऊवा की सुगालीमाता “Sugali Mata-Auwa”

दुर्गा माता का सौम्य स्वरूप-ऊनवास की पिप्पलादमाता “Pippalad Mata-Unwas”

उदयपुर से लगभग 48 कि. मी. दूर हल्दीघाटी के पास ऊनवास गाँव में दुर्गामाता का एक प्राचीन मन्दिर है जो लोकमानस में पिप्पलादमाता (Piplad Mata) के नाम से प्रसिद्ध है । इस मन्दिर से प्राप्त विक्रम संवत 1016 (960 ई.) के एक शिलालेख से मन्दिर की प्राचीनता और उसके पिप्पलादमाता नामकरण का पता चलता है … Read more दुर्गा माता का सौम्य स्वरूप-ऊनवास की पिप्पलादमाता “Pippalad Mata-Unwas”

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