
विनोद शर्मा
कृष्णगौड़ ब्राह्मण सेवा समिति, जयपुर
द्वारा प्रेषित आलेख
ब्राह्मणोत्पत्ति दर्पण व जाति भास्कर आदि से प्राप्त अभिलेखों के अनुसार महर्षि गर्ग ऋषि की संतान गर्गवंशी ब्राह्मण कहलाते है,ब्राह्मण वर्ग जो शिक्षण, अध्यापन का कार्य करते थे वे गुरु ब्राह्मण कहलाते है।
गुरु का अर्थ है अध्यापक, शिक्षक,आचार्य,उपाध्याय । गर्ग ऋषि के वंशज मुख्यत: पढ़ाने का काम करते थे । इनके घरो में पाठशालाए चलती थी । ये वर्ण राजा महाराजाओ के एव जन सामान्य के पथ प्रदर्शक रहे है । इसलिए गर्ग ऋषि के वंशज ब्राह्मण ही गुरु जैसे महान शब्द से अलंकृत है।।

इतिहास | History of Garg Vanshi Brahmin Samaj
सृष्टि को रचने वाले भगवान विष्णु जल के ऊपर लक्ष्मी के सहित शेष की शैय्या पर योग निद्रा में मग्न थे । उन पर सोये हुए भगवान की नाभि से बड़ा कमल उत्पन्न हुआ उस कमल के मध्य में से वेद वेदांगों के रचयिता ब्रह्मा उत्पन्न हुए । देवोदिदेव भगवान विष्णु जी ने उनसे बारम्बार जगत की सृष्टि रचने के लिए आग्रह किया ब्रह्मा जी ने सम्पूर्ण जगत को रच कर यज्ञ सिद्धि के लिए पापरहित ब्राह्मण को उत्पन्न किया साथ ही क्षत्रिय ,वैश्य,शुद्र की रचना की।इस प्रकार सृष्टि कर्ता ब्रह्मा के पुत्र अंगिरा ऋषि हुए और अंगिरा के पुत्र अंगिरस जी हुए जो कि बृहस्पति के नाम से प्रसिद्ध हुए बृहस्पति सब देवताओ के पुरोहित थे अब जो ब्रहस्पति जी से आगे वंश चला वो सब गुरु पुरोहित कहलाये और बृहस्पति जी का दूसरा नाम गुरु होने से इनके वंशजो को गुरु की उपाधि प्राप्त हुई।इसी प्रकार बृहस्पति जी के भरद्वाज जी हुए भरद्वाज जी के मन्यु और मन्यु के तेजस्वी पुत्र गर्ग उत्पन्न हुए। श्री गर्ग मुनि जी विद्या और ज्ञान में श्रेष्ठ होने से गर्गाचार्य नाम से विख्यात हुए।गर्गाचार्य जी द्वारा श्री कृष्ण का नामकरण कर यदुवंशियो के कुल गुरु कहा कर उनके कुल के पुरोहित हुए एवम श्री कृष्ण के शासन में राजगुरु पद से सुशोभित हुए। इस प्रकार गर्गाचार्य जी के वंशज गुरु ,गर्ग व कृष्ण गौड़ ब्राह्मण आदि नामों से विख्यात हुए।
गर्गवंशी ब्राह्मणों का क्षेत्र
गर्गवंशी ब्राह्मण ब्राह्मणोत्पत्ति दर्पण के अनुसार फैज़ाबाद,आजमगढ़,सुल्तानपुर,प्रयाग,काशी की तरफ फैले हुए हुए है, इसके साथ मुख्यतः ये राजस्थान व उसके समीपवर्ती राज्य मध्यप्रदेश,गुजरात,हरियाणा,पंजाब में निवास करते है।
गर्गवंशी ब्राह्मणों के क्षेत्र विशेष के अनुसार अन्य उपनाम
उपनाम | बहुसंख्यक क्षेत्र |
गर्गवंशी | फैजाबाद,आजमगढ़,सुल्तानपुर |
गार्ग्य | अवध |
गुरु गर्ग ब्राह्मण | मेवाड़,मालवा,अजमेरा,खेराड,शेखावाटी |
गुरु | जम्मू |
गुरूवाल | मुजफ्फरनगर, सहारनपुर |
गुरुद्वान,गुरुभान | अवध क्षेत्र |
कृष्ण गौड़ | जयपुर,ढूंढाड़,टोंक, हाड़ोती क्षेत्र कोटा,बूंदी,बारां,झालावाड़,सीकर |
गर्गवंशी ब्राह्मण समाज के गोत्र,शासन,कुलदेवियाँ— गुरु वंश से संबंधित होने से ये गायत्री माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते है जिनका भव्य मंदिर पुष्कर में स्थित है,इनका तीर्थ पुष्कर,धाम गया जी,वेद यजुर्वेद व शाखा माध्यंदिनि है,गर्गवंशी ब्राह्मण समाज 84 खापों में विभाजित है,राजपूत शासन के समय गुरु पदवी प्राप्त होने के कारण इनकी कुछ खापों में क्षत्रिय वर्ण की आभास प्रतीत होती है,इनके विभिन्न गौत्र व खांपो के अनुसार कुलदेवियों का वर्णन मिलता है जिन पर क्षेत्रीयता व आस्था का प्रभाव देखने को मिलता है इस समाज का विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित होने से कुलदेवियों पर मत भिन्न-भिन्न हो सकता हैं परंतु किसी की आस्था व विश्वास को महत्व देना सर्वोपरि है, समाज के गौत्र व कुलदेवियाँ निम्न प्रकार है—
Gotra wise Kuldevi list of Garg Vanshi Brahmin Samaj
क्रम संख्या | कुलदेवी | गौत्र | खांप(सामाजिक गौत्र) |
1 | चामुंडा माता | कश्यप | ब्रह्मान्य, गंगोल्या,गंगरावल, काला, पड़िहार |
2 | समदिरी माता | कौशिक | नागर, कनिवाल,पुंवार,कांटीवाल,मनोला |
3 | सहदेवी | भारद्वाज | धरवान्या,धारण्या,खरवड़,खेरदा,रोहितवाल,दाहिमा,जयवाल,पंड्या |
4 | कंकसिया माता | गर्ग | पालीवाल,गोयल,दीक्षित,शुक्ल |
5 | रुचिदेवी | अत्रि | जाजीवाल,अजेयश्रीया,श्रीमाल |
6 | जयंती देवी | पराशर | दाहिमा,गुजरिया,डायवाल |
7 | सती देवी | मुद्गल | गंगरावल,सांड,पंवार |
8 | जीण माता | अंगिरा | सिन्धोल्या,जोशी,आंधावल,फाँदर |
9 | नरवरिया माता | शांडिल्य | सलोरा,सुरवाल्या,सुखवाडिया |
10 | सत्यवती माता | वशिष्ठ | साख,सर्वोदय, सेठिया,कलावटिया |
11 | कृष्णा देवी | गौतम | तुमड़िया,डिंडोळ्या,इन्दोरिया,भुंडवाल,भिन्दोला |
12 | शीतला माता | हरित | चुहान्या,भुत, जोशी |
13 | चरना देवी | जातुकर्णी | भींडर,बहरया |
14 | संच्चिया माता | – | भाकरवाल |
15 | पीपाड़ माता | ब्रह्स्पत्य | पीपाड़ा |
16 | कल्याणी माता | वत्स | नागर, तुमड़िया,नागरवाल |
17 | कंकसिया माता | गार्ग्य | हाड़ा, मोहन,कौशक,टिटवाला |
18 | अम्बा देवी | – | सौलंखि |
19 | पथ्यारी देवी | कविस्थ | मोहन |
Namaskar Vinod ji aapke dwara Di Gai gargvanshi Samaj ki jankari Hamen bahut acchi lagi kripya aap esi Prakar Hamen Samaj aur Samaj ki gotra aur Samaj ke vishiya ke bare mein Jankari pradan Karte Rahe dhanyvad
सर्वप्रथम श्री विनोद जी को प्रणाम
यह जो जानकारी आप ने गूगल पर डाली है क्या इसका कहीं कोई आधार है यह जो कुल देवियां आपने दर्शाई हैं यह आपने किस ग्रंथ से ली है अथवा किस आधार पर आप ने निर्णय किया कि कौन से गोत्र की कुलदेवी कौन सी माता कृपया विस्तार से बताएं अन्यथा आधारहीन जानकारी अधूरी जानकारी ही माना जाएगा ऐसी बहुत सारी ब्राह्मण जानकारियां और भी उपलब्ध परंतु यदि आपके पास इनका कोई आधार है तो कृपया अवश्य शेयर करें।
कृष्ण गौड ब्राह्मण का जिक्र किसी भी ब्राह्मण ग्रंथ में नहीं मिलता है। ना ‘जाती भास्कर’ में और ना ही ‘ब्राह्मण्उत्पत्ति मार्तंड’ में कहीं कृष्ण गौड ब्राह्मण जाति का कहीं उल्लेख मिलता है।
यह कृष्ण गौड ब्राह्मण की उत्पत्ति बीसवीं शताब्दी के अंत में जयपुर एवं ढूंढाड प्रदेश के गरुड़ा ब्राह्मणों का वर्ग जो कि आरक्षण का लाभ नहीं लेना चाहता था उनके द्वारा की गई है।
कालांतर में ब्राह्मणों की कई जातियां जो कि अपने मूल वंश से अलग होने के बाद अपने मूल गोत्र भूल गई, उन्होंने जिस जिस साम्राज्य के अंतर्गत अधीनता स्वीकार कर उस राजा रजवाड़े के गोत्र को ही अपना लिया, इस तरह का वर्णन कई इतिहासकार करते हैं।
गर्ग , गुरु ब्राह्मण क्योंकि बाहर से आए थे , राजस्थान में भी इनकी संख्या बहुत कम थी , उन्होंने भी इसी प्रकार जिस जिस राजा रजवाड़े के प्रदेश में कर्मकांड का कार्य शुरू किया उसी राजे रजवाड़े का गोत्र भी अपना लिया एवं इनकी पहचान भी उसी राजा रजवाड़े से होने लगी इसीलिए आज भी कई गोत्र राजपूतों के भी हमारे समाज में मिलते हैं।
पहली बात तो जाती भास्कर हो या ब्राह्मण मार्तण्ड या उतपत्ति दर्पण या अन्य कोई ब्राह्मण इतिहास से संबंधित पुस्तके सभी मे गर्ग ब्राह्मण गरुडा जाती से अलग अंकित है, इस बात को माननीय राजस्थान सरकार ने भी सहर्ष स्वीकार किया है कि दोनो जातियो का इतिहास अलग है। दूसरी बात कृष्ण गौड़/गर्ग/गुरु ब्राह्मण समाज मुख्य रूप से एक ही समाज है, गरुडा जाती मूल रूप से मारवाड़ प्रदेश की जाती है इतिहास में इसके प्रमाण है, जयपुर ढूंढाड़ या हाड़ौती में इनकी स्थिति साबित ही नही होती।कृष्ण गौड़ ब्राह्मण नाम एक प्रचलित नाम नही बल्कि प्रमाणित है, जरूरत है इतिहास के पन्ने उलटने की।
गर्ग सिधप जाति की कुलदेवी कौन है
Jankari ke liye dhanyawad
गरोडा समुदाय के लोग है वोभी गर्गाचार्य के वंशज है क्या ?
Please Answer…
जी हां… गरुड़ा समाज के लोग भी गर्गाचार्य जी के ही वंशज हैं।
16 वीं शताब्दी एवं सत्रह वीं शताब्दी तक राजस्थान के कई रजवाड़ों ने गरुड़ा समाज के हमारे पूर्वजों को संरक्षण दे रखा था । इसके प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं।
पुष्कर के पास गोविंदगढ़ रियासत में जो आज गरुड़ा समाज के लाता है उनके पूर्वज कभी गुरु ब्राह्मण ही कहलाते थे और उन्हें गोविंदगढ़ के किले की नींव रखने के लिए आमंत्रित किया गया था किले की नींव का कार्य हमारे ही समाज के प्रकांड पंडित ने किया था इसके लिए उन्हें ताम्रपत्र भी दिया गया था आज भी यह ताम्रपत्र उपलब्ध है यह ताम्रपत्र दिल्ली के बादशाह शाहजहां के हुक्म से जारी हुआ था ।
यह इस बात का बहुत बड़ा प्रमाण है कि जिसे आज आप गुरुडा जाति कह रहे हैं, वह एवं गुरु गर्ग ब्राह्मण यह सब एक ही समुदाय के लोग हैं, अपने अपने हित में कालांतर में सभी ने अपने अपने निर्णय लिए एवं यह ब्राह्मण समाज कई भागों में बांट चुका है।
विभाजन का यह दौर आज भी जारी है गरुड़ा गुरु ब्राह्मण जाति के जो लोग आरक्षण का विरोध करते हैं एवं अपने आप को गरुड़ा जाति के साथ नहीं रखना चाहते हैं, उन्होंने आज के इस दौर में अपनी नई पहचान कृष्ण गौड ब्राह्मण के नाम पर बनाई है।
तहे दिल से आपका आभार व्यक्त करता हूं, क्युकी आपने मेरी बहोत बड़ी उलझन को सुल्जा दिया है ।
में आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता कि मेरा गोत्र गाजन है और में गर्ग ब्राह्मण समाज से और मुझे google से लगाकर books सारी पढ़ लिया पर मुझे कहीं नहीं मेरा गोत्र मुझे नहीं मिला मुझे मेरा गोत्र गाजन का हिस्ट्री बता दे
पंडित जी इसमें सम्पूर्ण गोत्रो का विवरण नहीं हैं, जैसे मेरी स्वयं की गोत्र “मालगडिया” कृपया अविलंब सम्पूर्ण जानकारी प्रेषित करें।
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गर्गवंशी शब्द ना उच्चारित करें ना हीं प्रचारित करें । सा आदर महर्षि गर्ग या महामुनि गर्ग
गर्गवंशी नहीं कृपया मेरी टिप्पणी को अन्यथा ना लें । श्री राधैं जयश्रीकृष्ण नमस्कार
कृपया करके गर्गवंशी लिखा हैं वहां आप महामुनि गर्ग या महर्षि गर्ग या गर्गाचार्य संबोधन स्थापित करें महात्मन ।
aapne garg gotra ki puri history batayi is ke liye bhot bhot sukriya.hamare purvaj faija bad se gaye the aazam garh mai pandey ki gaddi per ja ke baith gaye.aur hum log pandey kah laye.lekin hum to shukla the.aaj samjh gaye.
jo bat aap ne batayi puri saty hai.
yogendra pandey shiv ram pur azam garh utter pradesh.
उत्तम जानकारी के लिए बहुत बहुत सधोवाद ।
जय माँ भवानी
जय गर्गाचार्य जी सा
भगवान गर्गाचार्य जी की जानकारी शेयर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
कृष्णा गॉड ब्राह्मण मन गड़ित शब्द जोड़ दिया है।जबकि वास्तव में गर्ग गुरु ब्राह्मण समाज हैं।