नागर वैश्य समाज की उत्पत्ति व इतिहास Nagar Vaishya / Baniya Samaj History in Hindi

Nagar Vaishya / Baniya Samaj History in Hindi : ब्राह्मणोत्पत्तिमार्तण्ड के अनुसार गुजरात के राजा सत्यसंघ ने गर्ततीर्थ के ब्राह्मणों को नागर ब्राह्मणों के निवास वाले बड़नगर में व्यापार की प्रेरणा दी थी। वे गर्ततीर्थ के ब्राह्मण उस नगर में वाणिज्य-व्यवसाय करने से नागर वैश्य कहलाए – ततस्ते ब्राह्मणाः सर्वे गर्ततीर्थ समुद्भवाः। सत्यसंघं समभ्येत्य प्रोचुर्दुखं स्वकीयकम्।। परिग्रहः … Read more नागर वैश्य समाज की उत्पत्ति व इतिहास Nagar Vaishya / Baniya Samaj History in Hindi

नागर ब्राह्मण समाज की उत्पत्ति, इतिहास, गोत्र तथा कुलदेवता

Nagar Brahmin Samaj History Gotras in Hindi : नागर ब्राह्मण मुख्यतः गुजरात में निवास करते हैं, परन्तु राजस्थान, मालवा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, हरयाणा, हिमाचल प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल तथा कर्नाटक में भी मिलते हैं। माना जाता है कि नागर, ब्राह्मणों के सबसे पुराने समूह में से एक है। कुछ इतिहासकारों का दावा है … Read more नागर ब्राह्मण समाज की उत्पत्ति, इतिहास, गोत्र तथा कुलदेवता

मोढ समाज का इतिहास व कुलदेवी मातंगी देवी Modh Samaj

मोढ समाज का इतिहास (History of Modh Samaj) मोढ समाज मुख्यतः गुजरात में आबाद है। ब्राह्मणोत्पत्तिमार्तण्ड के अनुसार मोढ ब्राह्मणों की उत्पत्ति का इतिहास इस प्रकार है – Modh Brahmin – पद्मकल्प में भगवान विष्णु शेषशय्या पर योगनिद्रा में मग्न भगवान विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए। भगवन विष्णु के कान के मैल से … Read more मोढ समाज का इतिहास व कुलदेवी मातंगी देवी Modh Samaj

महाराष्ट्रीय ब्राह्मणों का इतिहास तथा गोत्रानुसार कुलदेवियाँ Maharashtrian Brahmin

महाराष्ट्रीय ब्राह्मण समाज ब्राह्मणों का एक प्रमुख समुदाय है जो मुख्य रूप से भारत में महाराष्ट्र राज्य में पाए जाते हैं। वे अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, रीति-रिवाजों और परंपराओं के लिए जाने जाते हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं। उत्पत्ति और इतिहास महाराष्ट्रीय ब्राह्मण समाज की उत्पत्ति वैदिक काल में देखी जा सकती है … Read more महाराष्ट्रीय ब्राह्मणों का इतिहास तथा गोत्रानुसार कुलदेवियाँ Maharashtrian Brahmin

Gotra wise Kuldevi List and History of Sahastra Audichya Brahmin Samaj

History of Audichya Sahastra Brahmin Samaj The word ‘Audichya’ is made with the word ‘Udichi’.  ‘Uudichi’ means ‘North’. That is to say, Brahmins who came from north direction to Siddhpur area, were called Audichya. ‘Brahminotpatti Martand’ describes the history of Sahastra Audichya Brahmin Samaj as follows – There is a city named Patan on the banks … Read more Gotra wise Kuldevi List and History of Sahastra Audichya Brahmin Samaj

श्री विष्णुशतनामस्तोत्रम्

 Shri Vishnu Shatanama Stotram : श्री वेदव्यासकृतं श्री विष्णुशतनामस्तोत्रम् in Sanskrit / Hindi वासुदेवं ह्रषीकेशं वामनं जलशायिनम्।जनार्दनं हरिं कृष्णं श्रीवक्षं गरुडध्वजम्॥ वाराहं पुण्डरीकाक्षं नृसिंहं नरकान्तकम्।अव्यक्तं शाश्वतं विष्णुमनन्तमजमव्ययम्॥ नारायणं गदाध्यक्षं गोविन्दं कीर्तिभाजनम्।गोवर्धनोद्धरं देवं भूधरं भुवनेश्वरम्॥ वेत्तारं यज्ञपुरुषं यज्ञेशं यज्ञवाहकम्।चक्रपाणिं गदापाणिं शंखपाणिं नरोत्तमम्॥ वैकुण्ठं दुष्टदमनं भूगर्भं पीतवाससम्।त्रिविक्रमं त्रिकालज्ञं त्रमूर्तिं नन्दिकेश्वरम्॥ रामं रामं हयग्रीवं भीमं रौद्रं भवोद्भवम्।श्रीपतिं श्रीधरं … Read more श्री विष्णुशतनामस्तोत्रम्

श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम्‌

Shri Vishnu Sahasranama Stotram : श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम्‌ in Sanskrit / Hindi शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये॥१॥ यस्य द्विरदवक्त्राद्याः पारिषद्याः परः शतम्‌।विघ्नं निघ्नन्ति सततं विष्वक्सेनं तमाश्रये॥२॥ व्यासं वसिष्ठनप्तारं शक्तेः पौत्रमकल्मषम्‌।पराशरात्मजं वन्दे शुकतातं तपोनिधिम्॥३॥ व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे।नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नमः॥४॥ अविकाराय शुद्धाय नित्याय परमात्मने।सदैकरूपरूपाय विष्णवे सर्वजिष्णवे॥५॥ यस्य स्मरणमात्रेण जन्मसंसारबन्धनात्।विमुच्यते नमस्तस्मै विष्णवे प्रभविष्णवे॥६॥ ॐ नमो … Read more श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम्‌

संकटनाशक गणेश स्तोत्र : प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्र विनायकम्

Sankat Nashak Ganesha Stotram : संकटनाशक   गणेश   स्तोत्र : प्रणम्य   शिरसा   देवं in Hindi प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्र विनायकम् ।भक्तावासं स्मरेन्नित्यायुष्कामार्थसिद्धये ॥१॥ प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥२॥ लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥३॥ नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥४॥ द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं … Read more संकटनाशक गणेश स्तोत्र : प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्र विनायकम्

गणेश पञ्चरत्नं

Ganesha Pancharatnam : गणेश पञ्चरत्नं in Hindi मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकंकलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम् ।अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकंनताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ॥१॥ नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरंनमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम् ।सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरंमहेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥२॥ समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरंदरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् ।कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करंमनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥३॥ अकिंचनार्तिमार्जनं चिरन्तनोक्तिभाजनंपुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् ।प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणम्कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ॥४॥ नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजंअचिन्त्यरूपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम् ।हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनांतमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि … Read more गणेश पञ्चरत्नं

लिङ्गाष्टकम् स्तोत्रम्

Lingashtakam Stotram : लिङ्गाष्टकम् स्तोत्रम् in Hindi ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम् निर्मलभासित शोभित लिंगम्। जन्मज दुःख विनाशक लिंगम् तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥1॥ देवमुनि प्रवरार्चित लिंगम् कामदहन करुणाकर लिंगम्। रावणदर्प विनाशन लिंगम् तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥2॥ सर्वसुगन्धि सुलेपित लिंगम् बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम्। सिद्ध सुरासुर वन्दित लिङ्गम्  तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥3॥ कनक महामणि भूषित … Read more लिङ्गाष्टकम् स्तोत्रम्

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